शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं सीखने से संबंधित है’ – यह परिभाषा किसकी है?
Correct
व्याख्या –
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार:
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
स्किनर के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित संपूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।’ मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो शिक्षण व अधिगम से संबंधित है।
क्रो व क्रो के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।
Incorrect
व्याख्या –
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार:
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
स्किनर के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित संपूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।’ मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो शिक्षण व अधिगम से संबंधित है।
क्रो व क्रो के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।
Unattempted
व्याख्या –
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार:
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
स्किनर के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित संपूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व आ जाता है।’ मनोविज्ञान शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो शिक्षण व अधिगम से संबंधित है।
क्रो व क्रो के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।
Question 2 of 10
2. Question
1 points
निम्नलिखित में से क्या उत्तम उपलब्धि परीक्षण की विशेषता नहीं है?
Correct
व्याख्या –
उपलब्धि परीक्षण-
उपलब्धि परीक्षण (Achievement Test) स्कूल से विषय संबंधी अर्जित ज्ञान का परीक्षण है।
उपलब्धि परीक्षण से शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी ने कितनी उन्नति की है,
गैरीसन तथा अन्य के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मापन करता है।’
इबेल के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण वह है, जो छात्र द्वारा ग्रहण किए हुए ज्ञान का अथवा किसी कौशल में निपुणता का मापन करता है।’
फ्रीमैन के अनुसार :‘
शैक्षिक उपलब्धि परीक्षण वह परीक्षण है, जो किसी विशेष विषय अथवा पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में व्यक्ति के ज्ञान, समझ और कुशलताओं का मापन करता है।’
उपलब्धि परीक्षणों की मुख्य विशेषताएं –
(1) विश्वसनीयता (Reliability)
(2) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
(3) वैधता (Validity)
(4) स्पष्टता (Clearity)
थार्नडाइक, हेगन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण का निम्न महत्व है :
1- विद्यार्थियों का वर्गीकरण करने में।
2- विद्यार्थियों की कठिनाइयों का निदान एवं उन्नति लिए।
3- विद्यार्थियों को प्रेरणा देने में।
4- व्यक्तिगत सहायता करने में।
5- शिक्षा-निर्देशन में।
6- विद्यार्थियों को परामर्श में।
7- शिक्षण विधि में सुधार करने में, और
8- अन्वेषण करने में आदि।
Incorrect
व्याख्या –
उपलब्धि परीक्षण-
उपलब्धि परीक्षण (Achievement Test) स्कूल से विषय संबंधी अर्जित ज्ञान का परीक्षण है।
उपलब्धि परीक्षण से शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी ने कितनी उन्नति की है,
गैरीसन तथा अन्य के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मापन करता है।’
इबेल के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण वह है, जो छात्र द्वारा ग्रहण किए हुए ज्ञान का अथवा किसी कौशल में निपुणता का मापन करता है।’
फ्रीमैन के अनुसार :‘
शैक्षिक उपलब्धि परीक्षण वह परीक्षण है, जो किसी विशेष विषय अथवा पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में व्यक्ति के ज्ञान, समझ और कुशलताओं का मापन करता है।’
उपलब्धि परीक्षणों की मुख्य विशेषताएं –
(1) विश्वसनीयता (Reliability)
(2) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
(3) वैधता (Validity)
(4) स्पष्टता (Clearity)
थार्नडाइक, हेगन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण का निम्न महत्व है :
1- विद्यार्थियों का वर्गीकरण करने में।
2- विद्यार्थियों की कठिनाइयों का निदान एवं उन्नति लिए।
3- विद्यार्थियों को प्रेरणा देने में।
4- व्यक्तिगत सहायता करने में।
5- शिक्षा-निर्देशन में।
6- विद्यार्थियों को परामर्श में।
7- शिक्षण विधि में सुधार करने में, और
8- अन्वेषण करने में आदि।
Unattempted
व्याख्या –
उपलब्धि परीक्षण-
उपलब्धि परीक्षण (Achievement Test) स्कूल से विषय संबंधी अर्जित ज्ञान का परीक्षण है।
उपलब्धि परीक्षण से शिक्षक यह ज्ञात कर सकता है कि विद्यार्थी ने कितनी उन्नति की है,
गैरीसन तथा अन्य के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मापन करता है।’
इबेल के अनुसार :
‘उपलब्धि परीक्षण वह है, जो छात्र द्वारा ग्रहण किए हुए ज्ञान का अथवा किसी कौशल में निपुणता का मापन करता है।’
फ्रीमैन के अनुसार :‘
शैक्षिक उपलब्धि परीक्षण वह परीक्षण है, जो किसी विशेष विषय अथवा पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में व्यक्ति के ज्ञान, समझ और कुशलताओं का मापन करता है।’
उपलब्धि परीक्षणों की मुख्य विशेषताएं –
(1) विश्वसनीयता (Reliability)
(2) वस्तुनिष्ठता (Objectivity)
(3) वैधता (Validity)
(4) स्पष्टता (Clearity)
थार्नडाइक, हेगन के अनुसार उपलब्धि परीक्षण का निम्न महत्व है :
1- विद्यार्थियों का वर्गीकरण करने में।
2- विद्यार्थियों की कठिनाइयों का निदान एवं उन्नति लिए।
3- विद्यार्थियों को प्रेरणा देने में।
4- व्यक्तिगत सहायता करने में।
5- शिक्षा-निर्देशन में।
6- विद्यार्थियों को परामर्श में।
7- शिक्षण विधि में सुधार करने में, और
8- अन्वेषण करने में आदि।
Question 3 of 10
3. Question
1 points
किसके अनुसार ‘शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म लेकर वृद्धावस्था तक सीखने संबंधी अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है?
Correct
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार :
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
क्रो एंड क्रो (1973) के अनुसार –
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनभवों (Learning Experience) का वर्णन और व्याख्या करता है।
Incorrect
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार :
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
क्रो एंड क्रो (1973) के अनुसार –
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनभवों (Learning Experience) का वर्णन और व्याख्या करता है।
Unattempted
शिक्षा मनोविज्ञान परिभाषाएं-
कॉलसनिक के अनुसार :
मनोविज्ञान के सिद्धांतों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।’ ।
स्टीफन के अनुसार : ‘
शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।’
सारे व टेलफोर्ड के अनुसार :
‘शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा के मनोवैज्ञानिक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।’
क्रो एंड क्रो (1973) के अनुसार –
शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनभवों (Learning Experience) का वर्णन और व्याख्या करता है।
Question 4 of 10
4. Question
1 points
परिवार बच्चे को शिक्षा प्रदान करता है
Correct
व्याख्या –
परिवार बच्चे को अनौपचारिक (Informally) रूप से शिक्षा देता है।
शिक्षा की प्रमुख तीन पद्धतियां –
औपचारिक
अनौपचारिक
निरौपचारिक
औपचारिक शिक्षा (Formal Education) :
नियमित शिक्षा प्रक्रिया को औपचारिक शिक्षा कहते हैं।
विद्यार्थियों को नियमित रूप से शिक्षा संस्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जाना होता है।
औपचारिक शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियां सभी निश्चित होते हैं।
औपचारिक शिक्षा योजनाबद्ध होती है
औपचारिक शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education) ‘.
अनौपचारिक शिक्षा के साधन परिवार, टीवी, सिनेमाघर इत्यादि हैं।
शिक्षा जिसकी कोई योजना नहीं बनाई जाती है, जिसका उद्देश्य निश्चित नहीं होते हैं,
अनौपचारिक शिक्षा में न पाठयचर्या और न शिक्षण विधियां होती है
अनौपचारिक शिक्षा यह जीवनभर चलने वाली शिक्षा पद्धति है।
मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षण में अनौपचारिक शिक्षा को लेता रहता है।
मनुष्य अनौपचारिक शिक्षा में प्रत्येक क्षण वह अपने संपर्क में आए व्यक्ति वातावरण से सीखता रहता है।
निरोपचारिक शिक्षा (Non-formal Education) :
निरोपचारिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रसार और शिक्षा की व्यवस्था करना होता है।
निरोपचारिक शिक्षा की पाठ्यचर्या सीखने वालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित की गई है।
निरोपचारिक शिक्षा में शिक्षण विधियों, सीखने के स्थानों व समय आदि सीखने वालों की सुविधानुसार निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा की तरह इसकी पाठ्यचर्या व उद्देश्य निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा की भांति विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की सीमा में नहीं बांधी जाती है,
निरौपचारिक शिक्षा के ही विभिन्न रूप -प्रौढ़ शिक्षा, सतत शिक्षा, खुली शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा और पत्राचार पाठ्यक्रम इत्यादि
Incorrect
व्याख्या –
परिवार बच्चे को अनौपचारिक (Informally) रूप से शिक्षा देता है।
शिक्षा की प्रमुख तीन पद्धतियां –
औपचारिक
अनौपचारिक
निरौपचारिक
औपचारिक शिक्षा (Formal Education) :
नियमित शिक्षा प्रक्रिया को औपचारिक शिक्षा कहते हैं।
विद्यार्थियों को नियमित रूप से शिक्षा संस्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जाना होता है।
औपचारिक शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियां सभी निश्चित होते हैं।
औपचारिक शिक्षा योजनाबद्ध होती है
औपचारिक शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education) ‘.
अनौपचारिक शिक्षा के साधन परिवार, टीवी, सिनेमाघर इत्यादि हैं।
शिक्षा जिसकी कोई योजना नहीं बनाई जाती है, जिसका उद्देश्य निश्चित नहीं होते हैं,
अनौपचारिक शिक्षा में न पाठयचर्या और न शिक्षण विधियां होती है
अनौपचारिक शिक्षा यह जीवनभर चलने वाली शिक्षा पद्धति है।
मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षण में अनौपचारिक शिक्षा को लेता रहता है।
मनुष्य अनौपचारिक शिक्षा में प्रत्येक क्षण वह अपने संपर्क में आए व्यक्ति वातावरण से सीखता रहता है।
निरोपचारिक शिक्षा (Non-formal Education) :
निरोपचारिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रसार और शिक्षा की व्यवस्था करना होता है।
निरोपचारिक शिक्षा की पाठ्यचर्या सीखने वालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित की गई है।
निरोपचारिक शिक्षा में शिक्षण विधियों, सीखने के स्थानों व समय आदि सीखने वालों की सुविधानुसार निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा की तरह इसकी पाठ्यचर्या व उद्देश्य निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा की भांति विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की सीमा में नहीं बांधी जाती है,
निरौपचारिक शिक्षा के ही विभिन्न रूप -प्रौढ़ शिक्षा, सतत शिक्षा, खुली शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा और पत्राचार पाठ्यक्रम इत्यादि
Unattempted
व्याख्या –
परिवार बच्चे को अनौपचारिक (Informally) रूप से शिक्षा देता है।
शिक्षा की प्रमुख तीन पद्धतियां –
औपचारिक
अनौपचारिक
निरौपचारिक
औपचारिक शिक्षा (Formal Education) :
नियमित शिक्षा प्रक्रिया को औपचारिक शिक्षा कहते हैं।
विद्यार्थियों को नियमित रूप से शिक्षा संस्थान विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में जाना होता है।
औपचारिक शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियां सभी निश्चित होते हैं।
औपचारिक शिक्षा योजनाबद्ध होती है
औपचारिक शिक्षा की सबसे बड़ी विशेषता व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है।
अनौपचारिक शिक्षा (Informal Education) ‘.
अनौपचारिक शिक्षा के साधन परिवार, टीवी, सिनेमाघर इत्यादि हैं।
शिक्षा जिसकी कोई योजना नहीं बनाई जाती है, जिसका उद्देश्य निश्चित नहीं होते हैं,
अनौपचारिक शिक्षा में न पाठयचर्या और न शिक्षण विधियां होती है
अनौपचारिक शिक्षा यह जीवनभर चलने वाली शिक्षा पद्धति है।
मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षण में अनौपचारिक शिक्षा को लेता रहता है।
मनुष्य अनौपचारिक शिक्षा में प्रत्येक क्षण वह अपने संपर्क में आए व्यक्ति वातावरण से सीखता रहता है।
निरोपचारिक शिक्षा (Non-formal Education) :
निरोपचारिक शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रसार और शिक्षा की व्यवस्था करना होता है।
निरोपचारिक शिक्षा की पाठ्यचर्या सीखने वालों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर निश्चित की गई है।
निरोपचारिक शिक्षा में शिक्षण विधियों, सीखने के स्थानों व समय आदि सीखने वालों की सुविधानुसार निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा औपचारिक शिक्षा की तरह इसकी पाठ्यचर्या व उद्देश्य निश्चित होते हैं।
निरोपचारिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा की भांति विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों की सीमा में नहीं बांधी जाती है,
निरौपचारिक शिक्षा के ही विभिन्न रूप -प्रौढ़ शिक्षा, सतत शिक्षा, खुली शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा और पत्राचार पाठ्यक्रम इत्यादि
Question 5 of 10
5. Question
1 points
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण निम्न में से कौनसा है
Correct
व्याख्या –
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण-
एक अच्छे शिक्षक में कर्त्तव्यनिष्ठा, कर्मठता, सत्यता, आदर्शवाद, समय पालन, सहनशीलता आदि गुण होने आवश्यक है ।
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण विषय में पारंगतता और श्रेष्ठ संप्रेषण क्षमता है।
अध्यापक ,समाज में एक अच्छा नागरिक बनाने के साथ उसका सर्वोत्तम विकास भी करतेहैं।
एक अध्यापक ,शिक्षा देने के साथ-साथ एक पेशेवर व्यक्ति बनने और अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते है।
विद्यार्थियों का अच्छा मार्गदर्शक एक अनुशासित अध्यापक होता है।
Incorrect
व्याख्या –
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण-
एक अच्छे शिक्षक में कर्त्तव्यनिष्ठा, कर्मठता, सत्यता, आदर्शवाद, समय पालन, सहनशीलता आदि गुण होने आवश्यक है ।
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण विषय में पारंगतता और श्रेष्ठ संप्रेषण क्षमता है।
अध्यापक ,समाज में एक अच्छा नागरिक बनाने के साथ उसका सर्वोत्तम विकास भी करतेहैं।
एक अध्यापक ,शिक्षा देने के साथ-साथ एक पेशेवर व्यक्ति बनने और अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते है।
विद्यार्थियों का अच्छा मार्गदर्शक एक अनुशासित अध्यापक होता है।
Unattempted
व्याख्या –
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण-
एक अच्छे शिक्षक में कर्त्तव्यनिष्ठा, कर्मठता, सत्यता, आदर्शवाद, समय पालन, सहनशीलता आदि गुण होने आवश्यक है ।
एक अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण गुण विषय में पारंगतता और श्रेष्ठ संप्रेषण क्षमता है।
अध्यापक ,समाज में एक अच्छा नागरिक बनाने के साथ उसका सर्वोत्तम विकास भी करतेहैं।
एक अध्यापक ,शिक्षा देने के साथ-साथ एक पेशेवर व्यक्ति बनने और अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते है।
विद्यार्थियों का अच्छा मार्गदर्शक एक अनुशासित अध्यापक होता है।
Question 6 of 10
6. Question
1 points
‘शिक्षण एक अधिक परिपक्व व्यक्तित्व और कम परिपक्व व्यक्तित्व के बीच वह घनिष्ठ संपर्क है, जिसके द्वारा कम परिपक्व व्यक्तित्व को शिक्षा की दिशा में और आगे बढ़ाया जा सकता है’- किसने कहा?
Correct
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
रायबर्न के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसा संबंध है, जो बच्चे को अपनी शक्तियों के विकास के लिए अग्रसर करता है। रॉयबर्न ने भी शिक्षण की प्रक्रिया को त्रिमुखी बताया है।
बर्टन के अनुसार –
शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन एवं प्रोत्साहन है।
स्मिथ के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका संपादन अन्तःपारस्परिक संबंधों के माध्यम से अधिगम को बढ़ाना है।
मॉरीसन के अनुसार –
शिक्षण एक अधिक परिपक्व व्यक्तित्व और कम परिपक्व व्यक्तित्व के बीच वह घनिष्ठ संबंध है, जिसके द्वारा कम परिपक्च व्यक्तित्व को शिक्षा की दिशा में और आगे बढ़ाया जा सकता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया–
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होते हैं–
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
इस प्रक्रिया में शिक्षक का स्थान प्रमुख तथा शिक्षार्थी का स्थान गौण है, अर्थात इन्होंने शिक्षण को शिक्षक केंद्रित (Teacher Centred) माना है।
एन.एल. गेज के कथनानुसार शिक्षण कला और विज्ञान दोनों है।
गेज के अनुसार, शिक्षण एक प्रकार का अन्तःपारस्परिक संबंध है, जिसका उद्देश्य दूसरों के व्यवहारों में परिवर्तन करना है।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Incorrect
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
रायबर्न के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसा संबंध है, जो बच्चे को अपनी शक्तियों के विकास के लिए अग्रसर करता है। रॉयबर्न ने भी शिक्षण की प्रक्रिया को त्रिमुखी बताया है।
बर्टन के अनुसार –
शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन एवं प्रोत्साहन है।
स्मिथ के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका संपादन अन्तःपारस्परिक संबंधों के माध्यम से अधिगम को बढ़ाना है।
मॉरीसन के अनुसार –
शिक्षण एक अधिक परिपक्व व्यक्तित्व और कम परिपक्व व्यक्तित्व के बीच वह घनिष्ठ संबंध है, जिसके द्वारा कम परिपक्च व्यक्तित्व को शिक्षा की दिशा में और आगे बढ़ाया जा सकता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया–
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होते हैं–
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
इस प्रक्रिया में शिक्षक का स्थान प्रमुख तथा शिक्षार्थी का स्थान गौण है, अर्थात इन्होंने शिक्षण को शिक्षक केंद्रित (Teacher Centred) माना है।
एन.एल. गेज के कथनानुसार शिक्षण कला और विज्ञान दोनों है।
गेज के अनुसार, शिक्षण एक प्रकार का अन्तःपारस्परिक संबंध है, जिसका उद्देश्य दूसरों के व्यवहारों में परिवर्तन करना है।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Unattempted
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
रायबर्न के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसा संबंध है, जो बच्चे को अपनी शक्तियों के विकास के लिए अग्रसर करता है। रॉयबर्न ने भी शिक्षण की प्रक्रिया को त्रिमुखी बताया है।
बर्टन के अनुसार –
शिक्षण अधिगम का उद्दीपन, निर्देशन एवं प्रोत्साहन है।
स्मिथ के अनुसार –
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका संपादन अन्तःपारस्परिक संबंधों के माध्यम से अधिगम को बढ़ाना है।
मॉरीसन के अनुसार –
शिक्षण एक अधिक परिपक्व व्यक्तित्व और कम परिपक्व व्यक्तित्व के बीच वह घनिष्ठ संबंध है, जिसके द्वारा कम परिपक्च व्यक्तित्व को शिक्षा की दिशा में और आगे बढ़ाया जा सकता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया–
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होते हैं–
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
इस प्रक्रिया में शिक्षक का स्थान प्रमुख तथा शिक्षार्थी का स्थान गौण है, अर्थात इन्होंने शिक्षण को शिक्षक केंद्रित (Teacher Centred) माना है।
एन.एल. गेज के कथनानुसार शिक्षण कला और विज्ञान दोनों है।
गेज के अनुसार, शिक्षण एक प्रकार का अन्तःपारस्परिक संबंध है, जिसका उद्देश्य दूसरों के व्यवहारों में परिवर्तन करना है।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Question 7 of 10
7. Question
1 points
शिक्षण प्रक्रिया में कौन स्वतंत्र चर होता है?
Correct
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
बालक को कक्षा में निश्चित समय, निश्चित विधियों, निश्चित स्थान पर पूर्व नियोजित ढंग से शिक्षण दिया जाता है। शिक्षण वह प्रक्रिया है
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया -,
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
शिक्षक की भूमिका स्वतंत्र चर की होती है।
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होतेहैं-
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Incorrect
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
बालक को कक्षा में निश्चित समय, निश्चित विधियों, निश्चित स्थान पर पूर्व नियोजित ढंग से शिक्षण दिया जाता है। शिक्षण वह प्रक्रिया है
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया -,
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
शिक्षक की भूमिका स्वतंत्र चर की होती है।
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होतेहैं-
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Unattempted
व्याख्या –
‘शिक्षण –
शिक्षक शिक्षार्थी को जिस विधि द्वारा ज्ञान प्रदान करता है उसे शिक्षण विधि कहते हैं।
शिक्षण (Teaching) का तात्पर्य होता है- सिखाना, पढ़ाना, शिक्षा प्रदान करना एवं अध्यापन कार्य करना ।
शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। शिक्षण शब्द शिक्षा से बना है, जिसका अर्थ है ‘शिक्षा प्रदान करना’।
शिक्षण की प्रक्रिया मानव व्यवहार को परिवर्तित करने की तकनीक है
‘शिक्षण विधि’ पद का प्रयोग व्यापक अर्थ में होता है।
बालक को कक्षा में निश्चित समय, निश्चित विधियों, निश्चित स्थान पर पूर्व नियोजित ढंग से शिक्षण दिया जाता है। शिक्षण वह प्रक्रिया है
शिक्षण का उद्देश्य व्यवहार परिवर्तन है।
एच. सी. मॉरिसन (H.C. Morrison) के अनुसार – जब एक गुरु अपने विद्यार्थी को ज्ञान देता है तो इसे ही शिक्षण (Teaching) कहा जाता है।
शिक्षण कार्य की प्रक्रिया का विधिवत अध्ययन शिक्षाशास्त्र या शिक्षणशास्त्र (Pedagogy) कहलाता है।
शिक्षणशास्त्र में अध्यापन की शैली या नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
जॉन डीवी (John Dewey) ने शिक्षण को त्रिध्रुवीय प्रक्रिया (Tripolar Process) बताया -,
शिक्षक
विद्यार्थी
पाठ्यक्रम
शिक्षक की भूमिका स्वतंत्र चर की होती है।
एडम्स (Adams) के अनुसार शिक्षण प्रक्रिया के दो अंग होतेहैं-
1. शिक्षण
2. अधिगम ।
ब्लूम ने शिक्षण को एक त्रिधुवीय प्रक्रिया बताया है।
शिक्षण के उद्देश्य,
सीखने के अनुभव
व्यवहार में परिवर्तन।
Question 8 of 10
8. Question
1 points
निम्नलिखित में से कौनसी अधिगम की विशेषता नहीं है?
Correct
व्याख्या –
अधिगम या सीखने (Learning) की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर योकम और सिम्पसन (Yoakam & Simpson) आदि मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम की कुछ सामान्य विशेषताओं (General. Characteristics of Learning) का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया है
अधिगम की विशेषता एवं प्रकृति निम्नलिखित हैं –
सीखना व्यवहार में परिवतर्न है
अर्जित व्यवहार की प्रकृति अपेक्षाकृत स्थाई होता है
सीखना जीवनपर्यंत चलनेवाली एक सतत प्रक्रिया है
सीखना एक सार्वौमिक प्रक्रिया है
सीखना उधेश्यपूर्ण एवं लक्ष्य निर्देशित होता है
सीखने का संबंध अनुभवो की नवीन व्यवस्था से होता है
सीखना वातावरण एवं क्रियाशीलता की उपज है
सीखने की एक परिस्थिति से दुसरे परिस्थिति में स्थानांतरण होता है
सीखने के द्वारा शिक्षण अधिगम उदेश्यों की प्राप्ति की जा सकती है
सीखना उचित वृद्धि एवं विकास में सहायता करता है
सीखना व्यक्तित्व के सार्वौमिक विकास में सहायक होता है
सीखने के द्वारा जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है
सीखना समायोजन में सहायक है
सीखना और विकास एक दुसरे के प्रयाय नहीं है
अधिगम में सदैव सही दिशा में विकास होना जरुरी नहीं है
Incorrect
व्याख्या –
अधिगम या सीखने (Learning) की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर योकम और सिम्पसन (Yoakam & Simpson) आदि मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम की कुछ सामान्य विशेषताओं (General. Characteristics of Learning) का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया है
अधिगम की विशेषता एवं प्रकृति निम्नलिखित हैं –
सीखना व्यवहार में परिवतर्न है
अर्जित व्यवहार की प्रकृति अपेक्षाकृत स्थाई होता है
सीखना जीवनपर्यंत चलनेवाली एक सतत प्रक्रिया है
सीखना एक सार्वौमिक प्रक्रिया है
सीखना उधेश्यपूर्ण एवं लक्ष्य निर्देशित होता है
सीखने का संबंध अनुभवो की नवीन व्यवस्था से होता है
सीखना वातावरण एवं क्रियाशीलता की उपज है
सीखने की एक परिस्थिति से दुसरे परिस्थिति में स्थानांतरण होता है
सीखने के द्वारा शिक्षण अधिगम उदेश्यों की प्राप्ति की जा सकती है
सीखना उचित वृद्धि एवं विकास में सहायता करता है
सीखना व्यक्तित्व के सार्वौमिक विकास में सहायक होता है
सीखने के द्वारा जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है
सीखना समायोजन में सहायक है
सीखना और विकास एक दुसरे के प्रयाय नहीं है
अधिगम में सदैव सही दिशा में विकास होना जरुरी नहीं है
Unattempted
व्याख्या –
अधिगम या सीखने (Learning) की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर योकम और सिम्पसन (Yoakam & Simpson) आदि मनोवैज्ञानिकों ने अधिगम की कुछ सामान्य विशेषताओं (General. Characteristics of Learning) का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया है
अधिगम की विशेषता एवं प्रकृति निम्नलिखित हैं –
सीखना व्यवहार में परिवतर्न है
अर्जित व्यवहार की प्रकृति अपेक्षाकृत स्थाई होता है
सीखना जीवनपर्यंत चलनेवाली एक सतत प्रक्रिया है
सीखना एक सार्वौमिक प्रक्रिया है
सीखना उधेश्यपूर्ण एवं लक्ष्य निर्देशित होता है
सीखने का संबंध अनुभवो की नवीन व्यवस्था से होता है
सीखना वातावरण एवं क्रियाशीलता की उपज है
सीखने की एक परिस्थिति से दुसरे परिस्थिति में स्थानांतरण होता है
सीखने के द्वारा शिक्षण अधिगम उदेश्यों की प्राप्ति की जा सकती है
सीखना उचित वृद्धि एवं विकास में सहायता करता है
सीखना व्यक्तित्व के सार्वौमिक विकास में सहायक होता है
सीखने के द्वारा जीवन में लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता मिलती है
सीखना समायोजन में सहायक है
सीखना और विकास एक दुसरे के प्रयाय नहीं है
अधिगम में सदैव सही दिशा में विकास होना जरुरी नहीं है
Question 9 of 10
9. Question
1 points
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक की सहायता करता है
Correct
व्याख्या –
मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of Psychology)
स्किनर (Skinner 1958) के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से सम्बन्धित है।”
क्रो एवं क्रो (Crow and Crow 1973) के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का विवरण एवं व्याख्या देता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक (scientific) होती है। क्योंकि शैक्षिक वातावरण में अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार का वैज्ञानिक विधियों, नियमों तथा सिद्धांतों के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों को जानने में शिक्षक की सहायता करता है
यह विधायक (Constitutive) और नियामक (Regulative) दोनों प्रकार का विज्ञान है। विधायक विज्ञान तथ्यों (Facts) पर जबकि नियामक विज्ञान मुल्यांकन (assessment) पर आधारित होता है।
शिक्षा का स्वरूप संश्लेषणात्मक (Synthetic) होता है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप विश्लेषणात्मक (analytic) होता है।
शिक्षामनोविज्ञान एक वस्तुपरक विज्ञान (Material science) है।
शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान (Science of behavior) क्योंकि इसमें शैक्षणिक परिस्थिति के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
शैक्षणिक परिस्थितियों के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु (theme) है।
शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा संबंध शिक्षण में अधिगम क्रियाकलापों से है।
मनोविज्ञान का शिक्षा में योगदान (Contribution of Psychology to Education)
बालक का महत्व।
बालकों की विभिन्न अवस्थाओं का महत्व।
बालकों की रूचियों व मूल प्रवृत्तियों का महत्व।
बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का महत्व।
पाठ्यक्रम में सुधार।
पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं पर बल।
सीखने की प्रक्रिया में उन्नति।
मूल्यांकन की नई विधियां।
शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति व सफलता।
नये ज्ञान का आधारपूर्ण ज्ञान।
Incorrect
व्याख्या –
मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of Psychology)
स्किनर (Skinner 1958) के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से सम्बन्धित है।”
क्रो एवं क्रो (Crow and Crow 1973) के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का विवरण एवं व्याख्या देता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक (scientific) होती है। क्योंकि शैक्षिक वातावरण में अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार का वैज्ञानिक विधियों, नियमों तथा सिद्धांतों के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों को जानने में शिक्षक की सहायता करता है
यह विधायक (Constitutive) और नियामक (Regulative) दोनों प्रकार का विज्ञान है। विधायक विज्ञान तथ्यों (Facts) पर जबकि नियामक विज्ञान मुल्यांकन (assessment) पर आधारित होता है।
शिक्षा का स्वरूप संश्लेषणात्मक (Synthetic) होता है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप विश्लेषणात्मक (analytic) होता है।
शिक्षामनोविज्ञान एक वस्तुपरक विज्ञान (Material science) है।
शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान (Science of behavior) क्योंकि इसमें शैक्षणिक परिस्थिति के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
शैक्षणिक परिस्थितियों के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु (theme) है।
शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा संबंध शिक्षण में अधिगम क्रियाकलापों से है।
मनोविज्ञान का शिक्षा में योगदान (Contribution of Psychology to Education)
बालक का महत्व।
बालकों की विभिन्न अवस्थाओं का महत्व।
बालकों की रूचियों व मूल प्रवृत्तियों का महत्व।
बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का महत्व।
पाठ्यक्रम में सुधार।
पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं पर बल।
सीखने की प्रक्रिया में उन्नति।
मूल्यांकन की नई विधियां।
शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति व सफलता।
नये ज्ञान का आधारपूर्ण ज्ञान।
Unattempted
व्याख्या –
मनोविज्ञान की परिभाषा (Definition of Psychology)
स्किनर (Skinner 1958) के अनुसार – “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से सम्बन्धित है।”
क्रो एवं क्रो (Crow and Crow 1973) के अनुसार – शिक्षा मनोविज्ञान जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के अधिगम अनुभवों का विवरण एवं व्याख्या देता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति (Nature of Educational Psychology)
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक (scientific) होती है। क्योंकि शैक्षिक वातावरण में अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार का वैज्ञानिक विधियों, नियमों तथा सिद्धांतों के माध्यम से अध्ययन किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों को जानने में शिक्षक की सहायता करता है
यह विधायक (Constitutive) और नियामक (Regulative) दोनों प्रकार का विज्ञान है। विधायक विज्ञान तथ्यों (Facts) पर जबकि नियामक विज्ञान मुल्यांकन (assessment) पर आधारित होता है।
शिक्षा का स्वरूप संश्लेषणात्मक (Synthetic) होता है, जबकि शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप विश्लेषणात्मक (analytic) होता है।
शिक्षामनोविज्ञान एक वस्तुपरक विज्ञान (Material science) है।
शिक्षा मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान (Science of behavior) क्योंकि इसमें शैक्षणिक परिस्थिति के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
शैक्षणिक परिस्थितियों के अंतर्गत बालक के व्यवहार का अध्ययन करना ही शिक्षा मनोविज्ञान की विषय वस्तु (theme) है।
शिक्षा मनोविज्ञान का सीधा संबंध शिक्षण में अधिगम क्रियाकलापों से है।
मनोविज्ञान का शिक्षा में योगदान (Contribution of Psychology to Education)
बालक का महत्व।
बालकों की विभिन्न अवस्थाओं का महत्व।
बालकों की रूचियों व मूल प्रवृत्तियों का महत्व।
बालकों की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का महत्व।
पाठ्यक्रम में सुधार।
पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं पर बल।
सीखने की प्रक्रिया में उन्नति।
मूल्यांकन की नई विधियां।
शिक्षा के उद्देश्य की प्राप्ति व सफलता।
नये ज्ञान का आधारपूर्ण ज्ञान।
Question 10 of 10
10. Question
1 points
बालक का विकास प्रभावित होता है
Correct
व्याख्या –
बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक-
वंशानुक्रम
वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी एवं संचार माध्यम।)
पोषण (Nutrition)
यौन भेद (Sexual Discrimination) .
संस्कृति (Culture)
व्यक्तिगत विभिन्नता (Personal Differences)
बुद्धि (Intelligence)
आयु (Age) , प्रजाति (Race)
खेल एवं व्यायाम (Sports and Exercise)
बालक का परिवार में स्थान (Child’s status in family)
Incorrect
व्याख्या –
बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक-
वंशानुक्रम
वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी एवं संचार माध्यम।)
पोषण (Nutrition)
यौन भेद (Sexual Discrimination) .
संस्कृति (Culture)
व्यक्तिगत विभिन्नता (Personal Differences)
बुद्धि (Intelligence)
आयु (Age) , प्रजाति (Race)
खेल एवं व्यायाम (Sports and Exercise)
बालक का परिवार में स्थान (Child’s status in family)
Unattempted
व्याख्या –
बाल विकास के आधार एवं उनको प्रभावित करने वाले कारक-
वंशानुक्रम
वातावरण (पारिवारिक, सामाजिक, विद्यालयी एवं संचार माध्यम।)
पोषण (Nutrition)
यौन भेद (Sexual Discrimination) .
संस्कृति (Culture)
व्यक्तिगत विभिन्नता (Personal Differences)
बुद्धि (Intelligence)
आयु (Age) , प्रजाति (Race)
खेल एवं व्यायाम (Sports and Exercise)
बालक का परिवार में स्थान (Child’s status in family)