प्राणिमात्र के व्यवहार में सुधार लाने की प्रक्रिया अधिगम है।
अधिगम (Learning) का सामान्य अर्थ होता है- सीखना या व्यवहार में परिवर्तन लाना
अधिगम को शिक्षा मनोविज्ञान का दिल (Heart) कहा गया है।
अधिगम कि परिभाषाएं–
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक: अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर: व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ: सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
Incorrect
व्याख्या –
प्राणिमात्र के व्यवहार में सुधार लाने की प्रक्रिया अधिगम है।
अधिगम (Learning) का सामान्य अर्थ होता है- सीखना या व्यवहार में परिवर्तन लाना
अधिगम को शिक्षा मनोविज्ञान का दिल (Heart) कहा गया है।
अधिगम कि परिभाषाएं–
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक: अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर: व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ: सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
Unattempted
व्याख्या –
प्राणिमात्र के व्यवहार में सुधार लाने की प्रक्रिया अधिगम है।
अधिगम (Learning) का सामान्य अर्थ होता है- सीखना या व्यवहार में परिवर्तन लाना
अधिगम को शिक्षा मनोविज्ञान का दिल (Heart) कहा गया है।
अधिगम कि परिभाषाएं–
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक: अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर: व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ: सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
Question 2 of 10
2. Question
1 points
शिक्षण अधिगम का केंद्र है
Correct
व्याख्या –
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का केंद्र शिक्षार्थी (Learner) को माना गया है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है|
रायबर्न के अनुसार ‘शिक्षा में तीन केंद्र बिंदु होते हैं –
शिक्षक,
शिक्षार्थी
विषयवस्तु
‘शिक्षण’ इन तीनों में स्थापित किया जाने वाला संबंध हैं।
शिक्षार्थी की ओर उन्मुक्त उपागम शिक्षार्थी केंद्रित उपागम है।
Incorrect
व्याख्या –
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का केंद्र शिक्षार्थी (Learner) को माना गया है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है|
रायबर्न के अनुसार ‘शिक्षा में तीन केंद्र बिंदु होते हैं –
शिक्षक,
शिक्षार्थी
विषयवस्तु
‘शिक्षण’ इन तीनों में स्थापित किया जाने वाला संबंध हैं।
शिक्षार्थी की ओर उन्मुक्त उपागम शिक्षार्थी केंद्रित उपागम है।
Unattempted
व्याख्या –
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का केंद्र शिक्षार्थी (Learner) को माना गया है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है|
रायबर्न के अनुसार ‘शिक्षा में तीन केंद्र बिंदु होते हैं –
शिक्षक,
शिक्षार्थी
विषयवस्तु
‘शिक्षण’ इन तीनों में स्थापित किया जाने वाला संबंध हैं।
शिक्षार्थी की ओर उन्मुक्त उपागम शिक्षार्थी केंद्रित उपागम है।
Question 3 of 10
3. Question
1 points
प्रभावशाली शिक्षण में निम्न में से कौनसी विशेषता आवश्यक नहीं है?
Correct
व्याख्या –
प्रभावी शिक्षण की मुख्य विशेषताएं (Main Features of Effective Teaching) –
पाठ योजना निर्माण कर पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतीकरण करना।
अध्यापक को विषयवस्तु का पर्याप्त ज्ञान होना।
शिक्षक और छात्रों के मध्य उचित अंतःक्रिया (Proper Interaction), और विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप सीखने व अभिव्यक्ति के अवसर देना।
विद्यार्थियों को कोई भी विषय को पढ़ाने से पूर्व उन्हें सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना।
शिक्षक को बालक के मनोविज्ञान का ज्ञान होना।
प्रत्येक बच्चे की शैक्षिक, पारिवारिक, मानसिक पृष्ठभूमि का ध्यान होना।
विषय को बोधगम्य बनाकर प्रस्तुत करना शिक्षण में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग।
Incorrect
व्याख्या –
प्रभावी शिक्षण की मुख्य विशेषताएं (Main Features of Effective Teaching) –
पाठ योजना निर्माण कर पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतीकरण करना।
अध्यापक को विषयवस्तु का पर्याप्त ज्ञान होना।
शिक्षक और छात्रों के मध्य उचित अंतःक्रिया (Proper Interaction), और विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप सीखने व अभिव्यक्ति के अवसर देना।
विद्यार्थियों को कोई भी विषय को पढ़ाने से पूर्व उन्हें सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना।
शिक्षक को बालक के मनोविज्ञान का ज्ञान होना।
प्रत्येक बच्चे की शैक्षिक, पारिवारिक, मानसिक पृष्ठभूमि का ध्यान होना।
विषय को बोधगम्य बनाकर प्रस्तुत करना शिक्षण में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग।
Unattempted
व्याख्या –
प्रभावी शिक्षण की मुख्य विशेषताएं (Main Features of Effective Teaching) –
पाठ योजना निर्माण कर पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतीकरण करना।
अध्यापक को विषयवस्तु का पर्याप्त ज्ञान होना।
शिक्षक और छात्रों के मध्य उचित अंतःक्रिया (Proper Interaction), और विद्यार्थियों के स्तर के अनुरूप सीखने व अभिव्यक्ति के अवसर देना।
विद्यार्थियों को कोई भी विषय को पढ़ाने से पूर्व उन्हें सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना।
शिक्षक को बालक के मनोविज्ञान का ज्ञान होना।
प्रत्येक बच्चे की शैक्षिक, पारिवारिक, मानसिक पृष्ठभूमि का ध्यान होना।
विषय को बोधगम्य बनाकर प्रस्तुत करना शिक्षण में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग।
Question 4 of 10
4. Question
1 points
सीखना एक लक्ष्य आधारित किया है। इसकी सफलता में कुछ कारकों का योगदान है
Correct
व्याख्या –
अधिगम-
सीखना या अधिगम (Learning) एक व्यापक, सतत एवं जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।
अधिगम की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाएं एवं उपक्रियाएं करता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आता है।
मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और धीरे-धीरे वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है।
जब व्यक्ति सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है तो वह शीघ्र ही सीख लेता है।
बाल केंद्रित शिक्षण द्वारा अधिगम के लिए उचित वातावरण का निर्माण किया जा सकता है,
जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में आया परिवर्तन बाह्य एवं आंतरिक दोनों ही प्रकार का हो सकता है।
Incorrect
व्याख्या –
अधिगम-
सीखना या अधिगम (Learning) एक व्यापक, सतत एवं जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।
अधिगम की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाएं एवं उपक्रियाएं करता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आता है।
मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और धीरे-धीरे वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है।
जब व्यक्ति सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है तो वह शीघ्र ही सीख लेता है।
बाल केंद्रित शिक्षण द्वारा अधिगम के लिए उचित वातावरण का निर्माण किया जा सकता है,
जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में आया परिवर्तन बाह्य एवं आंतरिक दोनों ही प्रकार का हो सकता है।
Unattempted
व्याख्या –
अधिगम-
सीखना या अधिगम (Learning) एक व्यापक, सतत एवं जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है।
अधिगम की प्रक्रिया में व्यक्ति अनेक क्रियाएं एवं उपक्रियाएं करता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन आता है।
मनुष्य जन्म के उपरांत ही सीखना प्रारंभ कर देता है और धीरे-धीरे वातावरण से समायोजित करने का प्रयत्न करता है।
जब व्यक्ति सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहता है तो वह शीघ्र ही सीख लेता है।
बाल केंद्रित शिक्षण द्वारा अधिगम के लिए उचित वातावरण का निर्माण किया जा सकता है,
जिस व्यक्ति में सीखने की जितनी अधिक शक्ति होती है, उतना ही उसके जीवन का विकास होता है।
अधिगम के कारण व्यक्ति के व्यवहार में आया परिवर्तन बाह्य एवं आंतरिक दोनों ही प्रकार का हो सकता है।
Question 5 of 10
5. Question
1 points
अधिगम से तात्पर्य है
Correct
व्याख्या –
अधिगम कि परिभाषाएं-
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक : अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर : व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ : सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से अभ्यास, अनुकरण या शिक्षण के माध्यम से प्राणिमात्र के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन होना ही सीखना (Learning) है।
Incorrect
व्याख्या –
अधिगम कि परिभाषाएं-
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक : अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर : व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ : सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से अभ्यास, अनुकरण या शिक्षण के माध्यम से प्राणिमात्र के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन होना ही सीखना (Learning) है।
Unattempted
व्याख्या –
अधिगम कि परिभाषाएं-
कॉलविन : अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन ही अधिगम है।
क्रोनबैक : अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार परिवर्तन ही अधिगम है।
स्किनर : व्यवहार में उत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है।
क्रो एंड क्रो : अधिगम आदतों, ज्ञान एवं अभिवृत्तियों का अर्जन है।
गेट्स : अनुभव एवं प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार में संशोधन ही अधिगम है।
गिलफोर्ड : पूर्व निर्मित व्यवहार के कारण व्यवहार में आया परिवर्तन ही अधिगम है।
मॉर्गन : अधिगम अपेक्षाकृत व्यवहार में स्थायी परिवर्तन है, जो अभ्यास के परिणामस्वरूप होता है।
विलियम वुडवर्थ : सीखना विकास की प्रक्रिया है। है।
प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से अभ्यास, अनुकरण या शिक्षण के माध्यम से प्राणिमात्र के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन होना ही सीखना (Learning) है।
Question 6 of 10
6. Question
1 points
मूल प्रवृत्ति जिज्ञासा से संबंधित संवेग है
Correct
व्याख्या –
संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है। प्रवृत्ति (Instinct) कहलाती है।
मूल प्रवृत्ति की संतुष्टि न के कारण हीनत्व- भावना आ जाती है।
प्रत्येक मल पर साथ एक संवेग जुड़ा रहता है।
संवेग की प्रकृति सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार की होती है।
सकारात्मक संवेग-
संवेग जो प्रशंसा, दया तथा खुशी जैसे सकारात्मक परिणाम के रूप में व्यवहार में नजर आते हैं,उसे सकारात्मक संवेग कहते
नकारात्मक संवेग–
संवेग जो अवाछित, अरुचिकर और हानिकारक व्यवहार जैसे ईर्ष्या, क्रोध, घृणा इत्यादि के रूप में दृष्टिगत होते हैं, उसे नकारात्मक संवेग कहते हैं।
जन्म के समय बालक के अंदर तीन संवेग होते हैं:
भय, क्रोध और प्रेम
मानव की मूल प्रवृत्तियां 14 होती हैं. मूल प्रवृत्तियों का सिद्धांत विलियम मैकडूगल (William McDougall)ने दिया था.
.1. पलायन (Escape) -भय (Fear)
2. निवृत्ति (Repulsion) -घृणा (Disgust)
3. शरणागति/आग्रह (Appeal) -संकट या विवाद (Distress)
11. आत्म-गौरव (self-assertion) -आत्माभिमान (Elation or Self-display)
12. भोजन तलाश (Food Seeking) -भूख (Appetite or Hunger or Craving)
13. संग्रह (Acquisition) -अधिकार (Feeling of ownership)
14. हास्य (Laughter) -मनोविनोद (Amusement)
विलियम मैक्डूगल के अनुसार प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के तीन अंग होते हैं-
1. एक विशेष उद्दीपक परिस्थिति
2. एक विशिष्ट रसना अथवा संवेग और
3. एक विशिष्ट प्रतिक्रिया क्रम।
मैक्डूगल ने प्रेरणा के इस मूल प्रवृत्ति सिद्वांत को 1908 में दिया था।
अभिप्रेरणा के मूल प्रवृत्तियों के सिद्धांत का जनक मैक्डूगल है मैक्डूगल ने पाया कि सभी प्राणी (पशु-पक्षी व मानव) किसी स्थिति से बचने के लिए एक प्रकार का जन्मजात व्यवहार करते हैं। कुछ जैविक शक्तियां या प्रवृत्तियां जन्मजात होती हैं, जो उसके व्यवहार का निर्धारण करती हैं।
मैक्डूगल के अनुसार मूल प्रवृत्तिजन्य व्यवहार के तीन पक्ष होते हैं
ज्ञानात्मक पक्ष
भावात्मक पक्ष
क्रियात्मक पक्ष
Incorrect
व्याख्या –
संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है। प्रवृत्ति (Instinct) कहलाती है।
मूल प्रवृत्ति की संतुष्टि न के कारण हीनत्व- भावना आ जाती है।
प्रत्येक मल पर साथ एक संवेग जुड़ा रहता है।
संवेग की प्रकृति सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार की होती है।
सकारात्मक संवेग-
संवेग जो प्रशंसा, दया तथा खुशी जैसे सकारात्मक परिणाम के रूप में व्यवहार में नजर आते हैं,उसे सकारात्मक संवेग कहते
नकारात्मक संवेग–
संवेग जो अवाछित, अरुचिकर और हानिकारक व्यवहार जैसे ईर्ष्या, क्रोध, घृणा इत्यादि के रूप में दृष्टिगत होते हैं, उसे नकारात्मक संवेग कहते हैं।
जन्म के समय बालक के अंदर तीन संवेग होते हैं:
भय, क्रोध और प्रेम
मानव की मूल प्रवृत्तियां 14 होती हैं. मूल प्रवृत्तियों का सिद्धांत विलियम मैकडूगल (William McDougall)ने दिया था.
.1. पलायन (Escape) -भय (Fear)
2. निवृत्ति (Repulsion) -घृणा (Disgust)
3. शरणागति/आग्रह (Appeal) -संकट या विवाद (Distress)
11. आत्म-गौरव (self-assertion) -आत्माभिमान (Elation or Self-display)
12. भोजन तलाश (Food Seeking) -भूख (Appetite or Hunger or Craving)
13. संग्रह (Acquisition) -अधिकार (Feeling of ownership)
14. हास्य (Laughter) -मनोविनोद (Amusement)
विलियम मैक्डूगल के अनुसार प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के तीन अंग होते हैं-
1. एक विशेष उद्दीपक परिस्थिति
2. एक विशिष्ट रसना अथवा संवेग और
3. एक विशिष्ट प्रतिक्रिया क्रम।
मैक्डूगल ने प्रेरणा के इस मूल प्रवृत्ति सिद्वांत को 1908 में दिया था।
अभिप्रेरणा के मूल प्रवृत्तियों के सिद्धांत का जनक मैक्डूगल है मैक्डूगल ने पाया कि सभी प्राणी (पशु-पक्षी व मानव) किसी स्थिति से बचने के लिए एक प्रकार का जन्मजात व्यवहार करते हैं। कुछ जैविक शक्तियां या प्रवृत्तियां जन्मजात होती हैं, जो उसके व्यवहार का निर्धारण करती हैं।
मैक्डूगल के अनुसार मूल प्रवृत्तिजन्य व्यवहार के तीन पक्ष होते हैं
ज्ञानात्मक पक्ष
भावात्मक पक्ष
क्रियात्मक पक्ष
Unattempted
व्याख्या –
संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है। प्रवृत्ति (Instinct) कहलाती है।
मूल प्रवृत्ति की संतुष्टि न के कारण हीनत्व- भावना आ जाती है।
प्रत्येक मल पर साथ एक संवेग जुड़ा रहता है।
संवेग की प्रकृति सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों प्रकार की होती है।
सकारात्मक संवेग-
संवेग जो प्रशंसा, दया तथा खुशी जैसे सकारात्मक परिणाम के रूप में व्यवहार में नजर आते हैं,उसे सकारात्मक संवेग कहते
नकारात्मक संवेग–
संवेग जो अवाछित, अरुचिकर और हानिकारक व्यवहार जैसे ईर्ष्या, क्रोध, घृणा इत्यादि के रूप में दृष्टिगत होते हैं, उसे नकारात्मक संवेग कहते हैं।
जन्म के समय बालक के अंदर तीन संवेग होते हैं:
भय, क्रोध और प्रेम
मानव की मूल प्रवृत्तियां 14 होती हैं. मूल प्रवृत्तियों का सिद्धांत विलियम मैकडूगल (William McDougall)ने दिया था.
.1. पलायन (Escape) -भय (Fear)
2. निवृत्ति (Repulsion) -घृणा (Disgust)
3. शरणागति/आग्रह (Appeal) -संकट या विवाद (Distress)
11. आत्म-गौरव (self-assertion) -आत्माभिमान (Elation or Self-display)
12. भोजन तलाश (Food Seeking) -भूख (Appetite or Hunger or Craving)
13. संग्रह (Acquisition) -अधिकार (Feeling of ownership)
14. हास्य (Laughter) -मनोविनोद (Amusement)
विलियम मैक्डूगल के अनुसार प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के तीन अंग होते हैं-
1. एक विशेष उद्दीपक परिस्थिति
2. एक विशिष्ट रसना अथवा संवेग और
3. एक विशिष्ट प्रतिक्रिया क्रम।
मैक्डूगल ने प्रेरणा के इस मूल प्रवृत्ति सिद्वांत को 1908 में दिया था।
अभिप्रेरणा के मूल प्रवृत्तियों के सिद्धांत का जनक मैक्डूगल है मैक्डूगल ने पाया कि सभी प्राणी (पशु-पक्षी व मानव) किसी स्थिति से बचने के लिए एक प्रकार का जन्मजात व्यवहार करते हैं। कुछ जैविक शक्तियां या प्रवृत्तियां जन्मजात होती हैं, जो उसके व्यवहार का निर्धारण करती हैं।
मैक्डूगल के अनुसार मूल प्रवृत्तिजन्य व्यवहार के तीन पक्ष होते हैं
ज्ञानात्मक पक्ष
भावात्मक पक्ष
क्रियात्मक पक्ष
Question 7 of 10
7. Question
1 points
जे.बी. वाटसन के अनुसार मनोविज्ञान अध्ययन है
Correct
व्याख्या –
जे.बी. वाटसन (Watson) द्वारा 1973 में मनोविज्ञान में व्यवहारवाद (Behaviourism) की शुरुआत जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में की गई।
वाटसन के अनुसार, मनोविज्ञान व्यवहार (Behaviour) का अध्ययन है
व्यवहारवादी उपागम मुख्यतः इस मान्यता पर आधारित है कि वातावरण मानव व्यवहार का निर्धारक होता है।
Incorrect
व्याख्या –
जे.बी. वाटसन (Watson) द्वारा 1973 में मनोविज्ञान में व्यवहारवाद (Behaviourism) की शुरुआत जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में की गई।
वाटसन के अनुसार, मनोविज्ञान व्यवहार (Behaviour) का अध्ययन है
व्यवहारवादी उपागम मुख्यतः इस मान्यता पर आधारित है कि वातावरण मानव व्यवहार का निर्धारक होता है।
Unattempted
व्याख्या –
जे.बी. वाटसन (Watson) द्वारा 1973 में मनोविज्ञान में व्यवहारवाद (Behaviourism) की शुरुआत जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में की गई।
वाटसन के अनुसार, मनोविज्ञान व्यवहार (Behaviour) का अध्ययन है
व्यवहारवादी उपागम मुख्यतः इस मान्यता पर आधारित है कि वातावरण मानव व्यवहार का निर्धारक होता है।
Question 8 of 10
8. Question
1 points
प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला कहां स्थापित की गई थी?
Correct
व्याख्या –
विलियम बुंट (1832-1920) ने 1879 में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला जर्मनी के लिपजिग विश्वविद्यालय (Leipzig University, Germany) में स्थापित की थी।
यह विश्वविद्यालय कार्ल मार्क्स के विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
विलियम वुंट को प्रायोगिक मनोविज्ञान का जनक (Father of Experimental Psychology) कहा जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
विलियम बुंट (1832-1920) ने 1879 में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला जर्मनी के लिपजिग विश्वविद्यालय (Leipzig University, Germany) में स्थापित की थी।
यह विश्वविद्यालय कार्ल मार्क्स के विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
विलियम वुंट को प्रायोगिक मनोविज्ञान का जनक (Father of Experimental Psychology) कहा जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
विलियम बुंट (1832-1920) ने 1879 में मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला जर्मनी के लिपजिग विश्वविद्यालय (Leipzig University, Germany) में स्थापित की थी।
यह विश्वविद्यालय कार्ल मार्क्स के विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
विलियम वुंट को प्रायोगिक मनोविज्ञान का जनक (Father of Experimental Psychology) कहा जाता है।
Question 9 of 10
9. Question
1 points
शिक्षा मनोविज्ञान संबंधित है
Correct
व्याख्या –
मानव व्यवहार शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र है।
शिक्षा मनोविज्ञान संगृहीत ज्ञान को सिद्धांत रूप देता है। यह खोज और निरीक्षण से प्राप्त तथ्यों का संग्रह करता है।
शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित है।
शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, अधिगम परिस्थितियों, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है।
Incorrect
व्याख्या –
मानव व्यवहार शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र है।
शिक्षा मनोविज्ञान संगृहीत ज्ञान को सिद्धांत रूप देता है। यह खोज और निरीक्षण से प्राप्त तथ्यों का संग्रह करता है।
शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित है।
शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, अधिगम परिस्थितियों, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है।
Unattempted
व्याख्या –
मानव व्यवहार शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र है।
शिक्षा मनोविज्ञान संगृहीत ज्ञान को सिद्धांत रूप देता है। यह खोज और निरीक्षण से प्राप्त तथ्यों का संग्रह करता है।
शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवं अधिगम से संबंधित है।
शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के व्यवहार, अधिगम परिस्थितियों, मानसिक प्रक्रियाओं एवं अनुभवों का अध्ययन शैक्षिक परिस्थितियों में किया जाता है।
Question 10 of 10
10. Question
1 points
नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है
Correct
व्याख्या –
शिक्षा द्वारा मानव की बुद्धि का विकास और अनुभव व नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है।
नवीन ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयास व लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है।
लक्ष्य निर्धारित करने से ज्ञान प्राप्त करने एवं विकास करने की प्रेरणा मिलती है।
हरबर्ट (Herbart) के अनुसार, ‘नवीन ज्ञान देने से पहले छात्र को पूर्व ज्ञान के प्रति सचेत करना चाहिए।
जीन पियाजे –
संज्ञानात्मक विकास को मानने वाले मनोवैज्ञानिक है
जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक है
नवीन ज्ञान की प्राप्ति अनुभव एवं नवीन अर्थ खोजने से होगी। ‘
Incorrect
व्याख्या –
शिक्षा द्वारा मानव की बुद्धि का विकास और अनुभव व नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है।
नवीन ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयास व लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है।
लक्ष्य निर्धारित करने से ज्ञान प्राप्त करने एवं विकास करने की प्रेरणा मिलती है।
हरबर्ट (Herbart) के अनुसार, ‘नवीन ज्ञान देने से पहले छात्र को पूर्व ज्ञान के प्रति सचेत करना चाहिए।
जीन पियाजे –
संज्ञानात्मक विकास को मानने वाले मनोवैज्ञानिक है
जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक है
नवीन ज्ञान की प्राप्ति अनुभव एवं नवीन अर्थ खोजने से होगी। ‘
Unattempted
व्याख्या –
शिक्षा द्वारा मानव की बुद्धि का विकास और अनुभव व नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है।
नवीन ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयास व लक्ष्य निर्धारण आवश्यक है।
लक्ष्य निर्धारित करने से ज्ञान प्राप्त करने एवं विकास करने की प्रेरणा मिलती है।
हरबर्ट (Herbart) के अनुसार, ‘नवीन ज्ञान देने से पहले छात्र को पूर्व ज्ञान के प्रति सचेत करना चाहिए।
जीन पियाजे –
संज्ञानात्मक विकास को मानने वाले मनोवैज्ञानिक है
जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक है
नवीन ज्ञान की प्राप्ति अनुभव एवं नवीन अर्थ खोजने से होगी। ‘