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Question 1 of 14
1. Question
2 points
खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर | किसने बनवाया? –
Correct
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Incorrect
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Unattempted
खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Question 2 of 14
2. Question
2 points
चोलों का राज्य किस क्षेत्र में फैला था?
Correct
2 / 2Points
चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Incorrect
/ 2 Points
चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Unattempted
/ 2 Points
चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Question 3 of 14
3. Question
2 points
मीनाक्षी मंदिर कहां स्थित है?
Correct
2 / 2Points
चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Incorrect
/ 2 Points
चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Unattempted
/ 2 Points
चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Question 4 of 14
4. Question
3 points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा कौन-सी है?
Correct
3 / 3Points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Incorrect
/ 3 Points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Unattempted
/ 3 Points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Question 5 of 14
5. Question
2 points
मालवा, गुजरात एवं महाराष्ट्र किस शासक ने पहली बार जीते?
Correct
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Incorrect
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Unattempted
मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Question 6 of 14
6. Question
2 points
कुषाण शासक कनिष्क का राज्याभिषेक किस सन् में हुआ?
Correct
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Incorrect
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Unattempted
मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Question 7 of 14
7. Question
2 points
सांची का स्तूप किस शासक ने बनवाया था?
Correct
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Incorrect
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Unattempted
सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Question 8 of 14
8. Question
2 points
‘सत्यमेव जयते’ शब्द कहां से लिया गया है?
Correct
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Incorrect
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Unattempted
भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Question 9 of 14
9. Question
2 points
रामानुजाचार्य किससे संबंधित हैं?
Correct
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय रामदास
सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
Incorrect
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय रामदास
सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
Unattempted
‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय रामदास
सनक सम्प्रदाय निम्बकाचार्य
Question 10 of 14
10. Question
2 points
किस दक्षिण भारतीय राज्य में उत्तम ग्राम प्रशासन था?
Correct
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
Incorrect
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
Unattempted
चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। ___
Question 11 of 14
11. Question
2 points
दिलवाड़ा जैन मंदिर कहां स्थित है?
Correct
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Incorrect
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Unattempted
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है। इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था। पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है। यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है। उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Question 12 of 14
12. Question
1 points
बुद्ध के उपदेश किससे संबंधित हैं?
Correct
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
Incorrect
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
Unattempted
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। _
Question 13 of 14
13. Question
2 points
चालुक्यों की राजधानी कहां थी?
Correct
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Incorrect
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Unattempted
उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Question 14 of 14
14. Question
2 points
संसार अस्थिर और क्षणिक है’ का निम्न में किससे संबंध है?
Correct
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Incorrect
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Unattempted
सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
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Question 1 of 6
1. Question
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महावीर के देहान्त के बाद निम्नलिखित में से कौन जैनधर्म का आध्यात्मिक नेता बना?
Correct
1 / 1Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Incorrect
/ 1 Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Unattempted
/ 1 Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Question 2 of 6
2. Question
2 points
चोलों का राज्य किस क्षेत्र में फैला था?
Correct
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Incorrect
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Unattempted
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Question 3 of 6
3. Question
2 points
मीनाक्षी मंदिर कहां स्थित है?
Correct
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Incorrect
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Unattempted
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Question 4 of 6
4. Question
2 points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा कौन-सी है?
Correct
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Incorrect
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Unattempted
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Question 5 of 6
5. Question
2 points
मालवा, गुजरात एवं महाराष्ट्र किस शासक ने पहली बार जीते?
Correct
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Incorrect
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Unattempted
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Question 6 of 6
6. Question
2 points
कुषाण शासक कनिष्क का राज्याभिषेक किस सन् में हुआ?
Correct
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Incorrect
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Unattempted
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
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Question 1 of 33
1. Question
2 points
महावीर के देहान्त के बाद निम्नलिखित में से कौन जैनधर्म का आध्यात्मिक नेता बना?
Correct
2 / 2Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Incorrect
/ 2 Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Unattempted
/ 2 Points
व्याख्या-महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की। ये गणधर कहे गए। इन्हें अलग-अलग समूहों का अध्यक्ष बनाया गया। इन गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है। इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष । इनमें इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी। महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना। सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Question 2 of 33
2. Question
2 points
बाईसवें तीर्थकर कौन थे?
Correct
2 / 2Points
व्याख्या-जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे जिसमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ 22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि, 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ और 24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Incorrect
/ 2 Points
व्याख्या-जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे जिसमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ 22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि, 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ और 24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Unattempted
/ 2 Points
व्याख्या-जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे जिसमें प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ 22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि, 23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ और 24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Question 3 of 33
3. Question
2 points
कुंडग्राम का, जहाँ महावीर का जन्म हुआ था, आधुनिक नाम क्या है?
Correct
2 / 2Points
Incorrect
/ 2 Points
Unattempted
/ 2 Points
Question 4 of 33
4. Question
2 points
खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर | किसने बनवाया? –
Correct
1. (d) खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Incorrect
1. (d) खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Unattempted
1. (d) खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं एवं 10वीं शताब्दी के मध्य चन्देल शासकों ने कराया था। वर्तमान समय में यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित है। राष्ट्रकूटों के शासनकाल में कैलाश मंदिर, दशावतार मंदिर का निर्माण कृष्ण-I ने करवाया था।
Question 5 of 33
5. Question
2 points
चोलों का राज्य किस क्षेत्र में फैला था?
Correct
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Incorrect
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Unattempted
(d) चोलों के विषय में प्रथम जानकारी पाणिनी कृत अष्टाध्यायी से प्राप्त होती है। इस विषय में जानकारी के अन्य स्रोत कात्यायन कृत वार्तिक, महाभारत, संगम साहित्य, पेरीप्लस ऑफ द इरीथ्रियन सी’ एवं टॉलेमी का विवरण आदि है। चोल राज्य आधुनिक कावेरी नदी घाटी, कोरोमंडल, तिरुचिरापल्ली, तंजौर तक विस्तृत था। इसकी पहली राजधानी ‘उत्तरी मनलूर’ थी। कालान्तर में उरैयूर तथा तंजावूर चोलों की राजधानियां बनीं। चोल राजवंश का प्रारम्भिक इतिहास संगम युग से प्रारम्भ होता है। पूर्व मध्यकाल में चोल सत्ता का संस्थापक विजयालय था। विजयालय ने तंजौर को अपनी राजधानी बनाया और नरकेसरी की उपाधि धारण की।
Question 6 of 33
6. Question
2 points
मीनाक्षी मंदिर कहां स्थित है?
Correct
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Incorrect
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Unattempted
(c) चालुक्य वंश के शासकों ने मीनाक्षी मंदिर का निर्माण मदुरै में कराया था। द्रविड़ शैली में निर्मित यह मंदिर श्रेष्ठ स्थापत्यों में से एक है। नागर शैली में मंदिरों का निर्माण उत्तर भारत में तथा बेसर शैली के मंदिरों का निर्माण मध्य भारत में किया गया।
Question 7 of 33
7. Question
2 points
भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा कौन-सी है?
Correct
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Incorrect
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Unattempted
(a) भारतीय दर्शन की प्रारम्भिक शाखा साख्य थी। इसके प्रतिपादक कपिल थे। सांख्य दर्शन
अनुसार जगत की उत्पत्ति ईश्वर से नहीं हुई पाल्क प्रकृति से हुई है। चौथी शताब्दी के बाद इस
स्रष्टि का कारण प्रकति और पुरुष दोनों को माना जाने लगा। यह दर्शन पहले भौतिकवादी था बाद में अध्यात्म की ओर मुड़ गया। इस दर्शन के अनुसार मोक्ष की प्राप्ति यथार्थ ज्ञान से ही हो सकती है। अन्य दर्शनों के प्रतिपादक इस प्रकार हैं
दर्शन प्रतिपादक
मीमांसा जैमिनी
वैशेषिक कणाद
योग पतंजलि
न्याय गौतम
वेदान्त बादरायण
Question 8 of 33
8. Question
2 points
मालवा, गुजरात एवं महाराष्ट्र किस शासक ने पहली बार जीते?
Correct
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Incorrect
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Unattempted
(d) मौर्यवंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी। यह साम्राज्य उत्तर-पश्चिम में ईरान से लेकर दक्षिण में उत्तरी कर्नाटक एवं पूर्व में मगध से लेकर पश्चिम में सोपारा तथा सौराष्ट्र तक फैला हुआ था। 305 ई. पू. में यूनानी शासक सेल्युकस एवं चन्द्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें संभवतः सेल्युकस पराजित हुआ था।
Question 9 of 33
9. Question
2 points
कुषाण शासक कनिष्क का राज्याभिषेक किस सन् में हुआ?
Correct
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Incorrect
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Unattempted
(d) मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमणकारियों में कुषाण वंश सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुषाण वंश यूची कबीले से संबद्ध था। जिसे तोरवारी भी कहा जाता था। इनका मूल निवास स्थान उत्तरी मध्य एशिया में चीन के आसपास था। कुषाण शासक कनिष्क के राज्याभिषेक की तिथि में अत्यंत विवाद है। यद्यपि ऐसा माना जाता है कि उसका राज्याभिषेक 78 ई. में हुआ था। इसी वर्ष उसने शक सम्वत् भी चलाया था, जो भारत सरकार द्वारा वर्तमान समय में प्रयोग में लाया जा रहा है।
Question 10 of 33
10. Question
2 points
सांची का स्तूप किस शासक ने बनवाया था?
Correct
(b) सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Incorrect
(b) सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Unattempted
(b) सम्राट अशोक के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना राज्याभिषेक के आठवें वर्ष 261 ई.पू. में कलिंग युद्ध था, उस समय कलिंग पर संभवतः नन्दराज का शासन था। कलिंग की राजधानी धौली या तोसली बनाई गई थी। प्रारम्भ में अशोक ब्राह्मण धर्म में विश्वास करता था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। बाद में वह बौद्ध भिक्षु मोग्गलिपुत्ततिस्स के प्रभाव में आ गया। सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी के लघु शिलालेखों व स्तूपों का निर्माण अशोक को बौद्ध धर्म के रक्षक के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
Question 11 of 33
11. Question
2 points
‘सत्यमेव जयते’ शब्द कहां से लिया गया है?
Correct
(d) भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Incorrect
(d) भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Unattempted
(d) भारत का राष्ट्रीय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ शब्द मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है। यह उपनिषद् का ही एक भाग है ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के त्रिवाक्य भी मुण्डकोपनिषद् से ही लिए गए हैं। मनुस्मृति सबसे प्राचीन स्मृति है। भगवत्गीता श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संकलन है। ऋग्वेद विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ है।
Question 12 of 33
12. Question
2 points
रामानुजाचार्य किससे संबंधित हैं?
Correct
(c) ‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद – शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय – तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय – रामदास
सनक सम्प्रदाय – निम्बकाचार्य
Incorrect
(c) ‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद – शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय – तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय – रामदास
सनक सम्प्रदाय – निम्बकाचार्य
Unattempted
(c) ‘श्री’ सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य ने 11वीं शताब्दी में वेदों की परम्परा को भक्ति से जोड़ने का प्रयत्न किया। इसी दर्शन को विशिष्टाद्वैतवाद कहा गया। इन्होंने भक्ति पर आधारित लोकप्रिय आंदोलनों और वेदों पर आधारित उच्चवर्गीय आंदोलनों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का काम किया। रामानुजाचार्य, शेषनाग के अवतार, समझे जाते हैं। वे आलवार भक्तों की शिष्य परम्परा में से थे। वे मर्यादा के सबसे बड़े समर्थक थे। प्रमुख भक्ति संतों में रामानन्द प्रमुख थे। द्वैतवाद मत के प्रवर्तक माध्वाचार्य थे। अन्य प्रमुख मतों के प्रवर्तक इस प्रकार हैं
शुद्धद्वैतवाद मत – – वल्लभाचार्य
अद्वैतवाद – शंकराचार्य
वरकरी सम्प्रदाय – तुकाराम
धरकरी सम्प्रदाय – रामदास
सनक सम्प्रदाय – निम्बकाचार्य
Question 13 of 33
13. Question
2 points
किस दक्षिण भारतीय राज्य में उत्तम ग्राम प्रशासन था?
Correct
(c) चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। _
Incorrect
(c) चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। _
Unattempted
(c) चोल साम्राज्य में ग्रामों की शासन व्यवस्था उत्तम कोटि की थी। ग्राम तथा नगरों की सभाएं शासन की मूलभूत इकाइयां थीं। नाडु की प्रशासनिक सभाएं प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित होती थीं। इस काल में स्थानीय स्वशासन में उर तथा सभा अथवा महासभा बालिग सदस्यों द्वारा निर्मित होती थी। उर गांव के सर्वसाधारण लोगों की प्रधान समिति थी। नगरम् तीसरे प्रकार की सभा थी। सभा/महासभा गांव के वरिष्ठ ब्राह्मणों की सभा थी जो अग्रहार ग्रामों में होती थी। महासभा को पेरुगुर्रि कहा जाता था। _
Question 14 of 33
14. Question
2 points
दिलवाड़ा जैन मंदिर कहां स्थित है?
Correct
(c) दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है।
इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था।
पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है।
उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Incorrect
(c) दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है।
इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था।
पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है।
उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Unattempted
(c) दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान में अरावली पर्वत में माउण्ट आबू में स्थित है।
इसका निर्माण भीम प्रथम के सामन्त विमलशाह ने 1031 ई. में कराया था।
पूर्ण रूप से संगमरमर द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया है।
यह राजस्थान में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित मंदिर है। यह जैन धर्मावलम्बियों का पवित्रतम स्थल है।
उल्लेखनीय है कि माउण्ट आबू के निकट गुरु शिखर अरावली की सर्वोच्च चोटी है।
Question 15 of 33
15. Question
2 points
बुद्ध के उपदेश किससे संबंधित हैं?
Correct
Incorrect
(d) बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था।
बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया।
बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। ____
Unattempted
(d) बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में 563 ई.पू. में हुआ था।
बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
बुद्ध ने पहला उपदेश ऋषिपत्तन (सारनाथ) में दिया था। इसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया।
बुद्ध के उपदेश आचरण की शुद्धता व पवित्रता से संबंधित थे। उन्होंने सर्वाधिक उपदेश श्रावस्ती (कोशल) में दिए। बुद्ध ने धर्म प्रचार कार्यों में ऊंच-नीच, अमीर-गरीब के मध्य कोई अंतर नहीं किया। उन्होंने अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण किया। ____
Question 16 of 33
16. Question
2 points
चालुक्यों की राजधानी कहां थी?
Correct
(a) उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Incorrect
(a) उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Unattempted
(a) उत्तरी महाराष्ट्र और विदर्भ में सातवाहनों के स्थान पर एक स्थानीय शक्ति वाकाटकों ने प्रभुत्व जमाया। वाकाटकों के बाद चालुक्य सत्ता में आए। चालुक्यों ने 757 ई. तक लगभग 200 वर्षों तक शासन किया और दक्षिण के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। चालुक्यों की राजधानी वातापी थी, जो कर्नाटक के बीजापुर जिले में स्थित थी। इसे आधुनिक समय में बादामी के नाम से जाना जाता है। चालुक्यों का प्रथम ऐतिहासिक शासक जयसिंह था। पुलकेशिन प्रथम प्रतापी शासक हुआ। रविकीर्ति रचित एहोल प्रशस्ति के अनुसार चालुक्य शासक पुलकेशिन-II ने हर्षवर्द्धन को पराजित किया था। इसके अतिरिक्त पुलकेशिन द्वितीय ने गंग राज्य, कोंकण राज्य, लाट राज्य, मालवा एवं गुर्जरों पर विजय प्राप्त की थी।
Question 17 of 33
17. Question
2 points
‘संसार अस्थिर और क्षणिक है’ का निम्न में किससे संबंध है?
Correct
(a) सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Incorrect
(a) सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Unattempted
(a) सर्वप्रथम महात्मा बुद्ध ने संसार को अस्थिर और क्षणिक कहा था। जिसे क्षणभंगुरवाद के नाम से जाना जाता है। प्रतीत्य समुत्पाद ही बुद्ध के उपदेशों का सार एवं उनकी सम्पूर्ण शिक्षाओं का आधार स्तम्भ है। प्रतीत्य समुत्पाद का अर्थ है, कि संसार की सभी वस्तुएं कार्य और कारण पर निर्भर करती हैं। प्रतीत्य (किसी वस्तु के होने पर) समुत्पाद (किसी अन्य वस्तु की उत्पत्ति), प्रतीत्य समुत्पाद का यही दर्शन है। ____
Question 18 of 33
18. Question
2 points
72 व्यापारी, चीन में किसके कार्यकाल में भेजे गए थे?
Correct
(a) कुलोत्तुंग ने 72 व्यापारियों का दूत मंडल चीन भेजा था। ध्यातव्य है, कि इससे पहले राजराज-I व राजेन्द्र-I ने भी चीन में अपने राजदूत भेजे थे।
Incorrect
(a) कुलोत्तुंग ने 72 व्यापारियों का दूत मंडल चीन भेजा था। ध्यातव्य है, कि इससे पहले राजराज-I व राजेन्द्र-I ने भी चीन में अपने राजदूत भेजे थे।
Unattempted
(a) कुलोत्तुंग ने 72 व्यापारियों का दूत मंडल चीन भेजा था। ध्यातव्य है, कि इससे पहले राजराज-I व राजेन्द्र-I ने भी चीन में अपने राजदूत भेजे थे।
Question 19 of 33
19. Question
2 points
प्रारम्भिक गणतंत्र में कौन-सा नहीं था?
Correct
Incorrect
Unattempted
Question 20 of 33
20. Question
2 points
‘जो यहां है वह अन्यत्र भी है, जो यहां नहीं है वह कहीं नहीं है’ यह निम्न में से किस ग्रंथ में कहा गया है?
Correct
(b) उपर्युक्त कथन का संबंध महाभारत से है। महाभारत की रचना वेदव्यास ने की है। रामायण वाल्मीकि द्वारा, गीता श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह तथा राजतरंगिणी कल्हण द्वारा रचित ग्रंथ हैं।
Incorrect
(b) उपर्युक्त कथन का संबंध महाभारत से है। महाभारत की रचना वेदव्यास ने की है। रामायण वाल्मीकि द्वारा, गीता श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह तथा राजतरंगिणी कल्हण द्वारा रचित ग्रंथ हैं।
Unattempted
(b) उपर्युक्त कथन का संबंध महाभारत से है। महाभारत की रचना वेदव्यास ने की है। रामायण वाल्मीकि द्वारा, गीता श्रीकृष्ण के उपदेशों का संग्रह तथा राजतरंगिणी कल्हण द्वारा रचित ग्रंथ हैं।
Question 21 of 33
21. Question
2 points
हिन्दू विधि द्वारा मान्य कर कितना था?
Correct
(b) हिन्दू विधि द्वारा उपज का मान्य कर 1/6 था।
Incorrect
(b) हिन्दू विधि द्वारा उपज का मान्य कर 1/6 था।
Unattempted
(b) हिन्दू विधि द्वारा उपज का मान्य कर 1/6 था।
Question 22 of 33
22. Question
2 points
मृगदाव (सारनाथ) में बुद्ध द्वारा दिया गया प्रथम उपदेश निम्न में से किस नाम से जाना जाता है?
Correct
(b) सारनाथ के मृगदाव में बुद्ध ने अपने पहले के पांच साथियों को जो उपदेश दिया उसे धम्मचक्रप्रवर्तन की संज्ञा दी गई। महात्मा बुद्ध के गृहत्याग को महाभिनिष्क्रमण एवं उनकी मृत्यु कुशीनगर में हुई। इनकी मृत्यु को महापरिनिर्वाण कहा गया है।
Incorrect
(b) सारनाथ के मृगदाव में बुद्ध ने अपने पहले के पांच साथियों को जो उपदेश दिया उसे धम्मचक्रप्रवर्तन की संज्ञा दी गई। महात्मा बुद्ध के गृहत्याग को महाभिनिष्क्रमण एवं उनकी मृत्यु कुशीनगर में हुई। इनकी मृत्यु को महापरिनिर्वाण कहा गया है।
Unattempted
(b) सारनाथ के मृगदाव में बुद्ध ने अपने पहले के पांच साथियों को जो उपदेश दिया उसे धम्मचक्रप्रवर्तन की संज्ञा दी गई। महात्मा बुद्ध के गृहत्याग को महाभिनिष्क्रमण एवं उनकी मृत्यु कुशीनगर में हुई। इनकी मृत्यु को महापरिनिर्वाण कहा गया है।
Question 23 of 33
23. Question
2 points
सिन्धु सभ्यता के बारे में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
Correct
(d) सिंधु सभ्यता के लोग लोहे से अपरिचित थे। उन्हें तांबा (अयस) नामक धातु का ज्ञान था। सिंधु सभ्यता की नगर व्यवस्था अत्यंत उच्चकोटि की थी। नगरों में नालियों की सदढ व्यवस्था थी। व्यापार एवं वाणिज्य उन्नत दशा में था। इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की उपासना करते थे।
Incorrect
(d) सिंधु सभ्यता के लोग लोहे से अपरिचित थे। उन्हें तांबा (अयस) नामक धातु का ज्ञान था। सिंधु सभ्यता की नगर व्यवस्था अत्यंत उच्चकोटि की थी। नगरों में नालियों की सदढ व्यवस्था थी। व्यापार एवं वाणिज्य उन्नत दशा में था। इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की उपासना करते थे।
Unattempted
(d) सिंधु सभ्यता के लोग लोहे से अपरिचित थे। उन्हें तांबा (अयस) नामक धातु का ज्ञान था। सिंधु सभ्यता की नगर व्यवस्था अत्यंत उच्चकोटि की थी। नगरों में नालियों की सदढ व्यवस्था थी। व्यापार एवं वाणिज्य उन्नत दशा में था। इस सभ्यता के लोग मातृदेवी की उपासना करते थे।
Question 24 of 33
24. Question
2 points
अधोलिखित में कौन गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्रा है?
Correct
(b) गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्रा को दीनार कहा जाता था जबकि फाह्यान ने कौड़ियों का भी व्यापार विनिमय में उपयोग की बात कही है।
Incorrect
(b) गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्रा को दीनार कहा जाता था जबकि फाह्यान ने कौड़ियों का भी व्यापार विनिमय में उपयोग की बात कही है।
Unattempted
(b) गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्रा को दीनार कहा जाता था जबकि फाह्यान ने कौड़ियों का भी व्यापार विनिमय में उपयोग की बात कही है।
Question 25 of 33
25. Question
2 points
मुद्राराक्षस का लेखक निम्न में कौन है?
Correct
मुद्राराक्षस की रचना विशाखदत्त ने की थी। इससे प्राचीन भारत के प्रथम वृहद् और शक्तिशाली साम्राज्य मौर्य राजवंश के इतिहास और तत्कालीन समाज की जानकारी प्राप्त होती है। कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम जैसे महत्वपूर्ण नाटक लिखे हैं।
Incorrect
मुद्राराक्षस की रचना विशाखदत्त ने की थी। इससे प्राचीन भारत के प्रथम वृहद् और शक्तिशाली साम्राज्य मौर्य राजवंश के इतिहास और तत्कालीन समाज की जानकारी प्राप्त होती है। कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम जैसे महत्वपूर्ण नाटक लिखे हैं।
Unattempted
मुद्राराक्षस की रचना विशाखदत्त ने की थी। इससे प्राचीन भारत के प्रथम वृहद् और शक्तिशाली साम्राज्य मौर्य राजवंश के इतिहास और तत्कालीन समाज की जानकारी प्राप्त होती है। कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम जैसे महत्वपूर्ण नाटक लिखे हैं।
Question 26 of 33
26. Question
2 points
सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहां स्थानांतरित की थी?
Correct
सम्राट हर्षवद्धन (606-647 लगभग 606 ई. में थानेश्वर का गद्दी पर बैठा। इसके विषय में जानकारी बाणभट्ट के ‘हर्षचरित से मिलती है। हर्षवर्द्धन अपनी राजधानी शाह से कन्नौज ले आया था। समृद्धि एवं ऐश्वर्य के कारण इसे ‘महोदय नगर’ भी कहा जाता था।
Incorrect
सम्राट हर्षवद्धन (606-647 लगभग 606 ई. में थानेश्वर का गद्दी पर बैठा। इसके विषय में जानकारी बाणभट्ट के ‘हर्षचरित से मिलती है। हर्षवर्द्धन अपनी राजधानी शाह से कन्नौज ले आया था। समृद्धि एवं ऐश्वर्य के कारण इसे ‘महोदय नगर’ भी कहा जाता था।
Unattempted
सम्राट हर्षवद्धन (606-647 लगभग 606 ई. में थानेश्वर का गद्दी पर बैठा। इसके विषय में जानकारी बाणभट्ट के ‘हर्षचरित से मिलती है। हर्षवर्द्धन अपनी राजधानी शाह से कन्नौज ले आया था। समृद्धि एवं ऐश्वर्य के कारण इसे ‘महोदय नगर’ भी कहा जाता था।
Question 27 of 33
27. Question
2 points
अंकोरवाट का मंदिर कहां पर स्थित है?
Correct
अंकोरवाट का विष्णु मंदिर कम्बोडिया में स्थित है।
इसका निर्माण 1125 में कम्बुज नरेश सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था। यह मंदिर प्राचीन यशोधरापुर में बना है। रामायण की सम्पूर्ण कथा को इसमें मूर्त रूप प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त महाभारत तथा पुराणों के दृश्य, यक्ष, किन्नर, गन्धर्वो को जगह-जगह चिन्हित किया गया है। इस पर भारतीय स्थापत्य कला का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
Incorrect
अंकोरवाट का विष्णु मंदिर कम्बोडिया में स्थित है।
इसका निर्माण 1125 में कम्बुज नरेश सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था। यह मंदिर प्राचीन यशोधरापुर में बना है। रामायण की सम्पूर्ण कथा को इसमें मूर्त रूप प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त महाभारत तथा पुराणों के दृश्य, यक्ष, किन्नर, गन्धर्वो को जगह-जगह चिन्हित किया गया है। इस पर भारतीय स्थापत्य कला का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
Unattempted
अंकोरवाट का विष्णु मंदिर कम्बोडिया में स्थित है।
इसका निर्माण 1125 में कम्बुज नरेश सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था। यह मंदिर प्राचीन यशोधरापुर में बना है। रामायण की सम्पूर्ण कथा को इसमें मूर्त रूप प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त महाभारत तथा पुराणों के दृश्य, यक्ष, किन्नर, गन्धर्वो को जगह-जगह चिन्हित किया गया है। इस पर भारतीय स्थापत्य कला का स्पष्ट प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
Question 28 of 33
28. Question
3 points
विक्रम संवत् कब से प्रारम्भ हुआ?
Correct
विक्रम संवत् का प्रारम्भ 57 ईसा पूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया। ईस्वी के पश्चात् संवत् की गणना करते समय प्रत्येक सन् में 57 वर्ष और जोड़कर संवत् की गणना की जाती है। अतः निकटतम सही विकल्प (b) है।
Incorrect
विक्रम संवत् का प्रारम्भ 57 ईसा पूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया। ईस्वी के पश्चात् संवत् की गणना करते समय प्रत्येक सन् में 57 वर्ष और जोड़कर संवत् की गणना की जाती है। अतः निकटतम सही विकल्प (b) है।
Unattempted
विक्रम संवत् का प्रारम्भ 57 ईसा पूर्व में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया। ईस्वी के पश्चात् संवत् की गणना करते समय प्रत्येक सन् में 57 वर्ष और जोड़कर संवत् की गणना की जाती है। अतः निकटतम सही विकल्प (b) है।
Question 29 of 33
29. Question
2 points
सैंधव सभ्यता का महान् स्नानागार कहां से प्राप्त हुआ है?
Correct
वृहत् स्नानागार ईंटों के स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसकी उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई 54.85 मी. तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम की ओर 32.90 मीटर है। इसके मध्य में स्थित स्नानकुण्ड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा तथा 2.44 मीटर गहरा था। स्नानागार के फर्श का ढाल दक्षिण से पश्चिम की ओर है। कुंड के पूर्व में स्थित एक कमरे से ईंटों की दोहरी पंक्ति से बने एक कूप का अवशेष प्राप्त हुआ है, जो संभवतः स्नानागार के लिए जल की आपूर्ति करता था। _
Incorrect
वृहत् स्नानागार ईंटों के स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसकी उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई 54.85 मी. तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम की ओर 32.90 मीटर है। इसके मध्य में स्थित स्नानकुण्ड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा तथा 2.44 मीटर गहरा था। स्नानागार के फर्श का ढाल दक्षिण से पश्चिम की ओर है। कुंड के पूर्व में स्थित एक कमरे से ईंटों की दोहरी पंक्ति से बने एक कूप का अवशेष प्राप्त हुआ है, जो संभवतः स्नानागार के लिए जल की आपूर्ति करता था। _
Unattempted
वृहत् स्नानागार ईंटों के स्थापत्य का सुंदर उदाहरण है। इसकी उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई 54.85 मी. तथा चौड़ाई पूर्व से पश्चिम की ओर 32.90 मीटर है। इसके मध्य में स्थित स्नानकुण्ड 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा तथा 2.44 मीटर गहरा था। स्नानागार के फर्श का ढाल दक्षिण से पश्चिम की ओर है। कुंड के पूर्व में स्थित एक कमरे से ईंटों की दोहरी पंक्ति से बने एक कूप का अवशेष प्राप्त हुआ है, जो संभवतः स्नानागार के लिए जल की आपूर्ति करता था। _
Question 30 of 33
30. Question
2 points
मूर्ति पूजा का आरम्भ कब से माना जाता है?
Correct
पूर्व आर्यकाल में हड़प्पावासियों ने संभवतः सर्वप्रथम मूर्तिपूजा का आरंभ किया था। आर्यों के समय में मूर्तिपूजा का प्रारम्भ उत्तर वैदिक काल से प्रारम्भ हआ माना जाता है। मौर्यकाल भारतीय इतिहास में साम्राज्य निर्माण का पहला प्रयास माना जाता है। मौर्यों के शासनकाल से ही भारतीय इतिहास में एक निश्चित तिथिक्रम का ज्ञान होता है। मौर्योत्तर काल में विदेशी – आक्रमणकारियों में कषाण वंश महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
Incorrect
पूर्व आर्यकाल में हड़प्पावासियों ने संभवतः सर्वप्रथम मूर्तिपूजा का आरंभ किया था। आर्यों के समय में मूर्तिपूजा का प्रारम्भ उत्तर वैदिक काल से प्रारम्भ हआ माना जाता है। मौर्यकाल भारतीय इतिहास में साम्राज्य निर्माण का पहला प्रयास माना जाता है। मौर्यों के शासनकाल से ही भारतीय इतिहास में एक निश्चित तिथिक्रम का ज्ञान होता है। मौर्योत्तर काल में विदेशी – आक्रमणकारियों में कषाण वंश महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
Unattempted
पूर्व आर्यकाल में हड़प्पावासियों ने संभवतः सर्वप्रथम मूर्तिपूजा का आरंभ किया था। आर्यों के समय में मूर्तिपूजा का प्रारम्भ उत्तर वैदिक काल से प्रारम्भ हआ माना जाता है। मौर्यकाल भारतीय इतिहास में साम्राज्य निर्माण का पहला प्रयास माना जाता है। मौर्यों के शासनकाल से ही भारतीय इतिहास में एक निश्चित तिथिक्रम का ज्ञान होता है। मौर्योत्तर काल में विदेशी – आक्रमणकारियों में कषाण वंश महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
Question 31 of 33
31. Question
2 points
बुद्ध की खड़ी प्रतिमा निम्न में से किस काल में बनाई गई?
Correct
कुषाण युग में ही मथुरा से बुद्ध एवं बोधिसत्व की खडी व बैठी मुद्रा में बनी हुई मूर्तियां मिलती हैं।
Incorrect
कुषाण युग में ही मथुरा से बुद्ध एवं बोधिसत्व की खडी व बैठी मुद्रा में बनी हुई मूर्तियां मिलती हैं।
Unattempted
कुषाण युग में ही मथुरा से बुद्ध एवं बोधिसत्व की खडी व बैठी मुद्रा में बनी हुई मूर्तियां मिलती हैं।
Question 32 of 33
32. Question
2 points
गौतम बुद्ध के बारे में निम्न में से क्या सत्य है?
वे कर्म में विश्वास करते थे।
आत्मा का शरीर में परिवर्तन मानते थे।
निर्वाण प्राप्ति में विश्वास करते थे।
ईश्वर की सत्ता में विश्वास करते थे। निम्न कूटों में से सही उत्तर चुनिए
Correct
महात्मा बुद्ध कर्म में विश्वास करते थे, वे आत्मा में विश्वास न करते हुए भी पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। निर्वाण प्राप्ति बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य था ही।
Incorrect
महात्मा बुद्ध कर्म में विश्वास करते थे, वे आत्मा में विश्वास न करते हुए भी पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। निर्वाण प्राप्ति बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य था ही।
Unattempted
महात्मा बुद्ध कर्म में विश्वास करते थे, वे आत्मा में विश्वास न करते हुए भी पुनर्जन्म में विश्वास करते थे। निर्वाण प्राप्ति बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य था ही।
Question 33 of 33
33. Question
2 points
‘तुम्हारा अधिकार कर्म पर है, फल की प्राप्ति पर नहीं’ यह निम्न में से किस ग्रंथ में कहा गया है?
Correct
गीता में यह कहा गया है कि “कर्मण्येवाधिकारस्तु, मा फलेषु कदाचन” अर्थात् कर्म पर ही अधिकार है, कर्म फल पर नहीं। गीता महाभारत के भीष्मपर्व का अंश है।
Incorrect
गीता में यह कहा गया है कि “कर्मण्येवाधिकारस्तु, मा फलेषु कदाचन” अर्थात् कर्म पर ही अधिकार है, कर्म फल पर नहीं। गीता महाभारत के भीष्मपर्व का अंश है।
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गीता में यह कहा गया है कि “कर्मण्येवाधिकारस्तु, मा फलेषु कदाचन” अर्थात् कर्म पर ही अधिकार है, कर्म फल पर नहीं। गीता महाभारत के भीष्मपर्व का अंश है।