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राजस्थान पुलिस
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प्रश्न के कथन को सही मान कर उचित निष्कर्ष को चुने।
कथन : सभी लैम्प हुक हैं। कोई हुक रंगीन नहीं है।
निष्कर्ष : (I) कुछ लैम्प रंगीन है। (II) कोई हुक रंगीन नहीं है
केवल (II)
केवल (II)
केवल (II)
प्रश्न के कथन को सही मान कर उचित निष्कर्ष को चुने।
कथन : सभी सिक्के कौवे है। कुछ कौवे पेन्सिलें है।
निष्कर्ष : (I) कोई पेंसिल सिक्का नहीं है। (II) कुछ सिक्के पेंसिल हैं।
या (I) या (II)
या (I) या (II)
या (I) या (II)
4 विकल्प में तीन किसी तरह सामान होते है जबकि एक तीनो से अलग होते है। उस एक विकल्प छांटिए|
A)हीरा B)नीलम C)संगमरमर D)जम्बुमणि
संगमरमर, सभी क़ीमती रत्न है, जबकि संगमरमर पत्थर।
संगमरमर, सभी क़ीमती रत्न है, जबकि संगमरमर पत्थर।
संगमरमर, सभी क़ीमती रत्न है, जबकि संगमरमर पत्थर।
4 विकल्प में तीन किसी तरह सामान होते है जबकि एक तीनो से अलग होते है। उस एक विकल्प छांटिए|
A)यकृत B)फेफड़े C)गुर्दा D)कान
यकृत, इसके अलावे उपयुक्त सभी दो-दो की संख्या में होते है।
यकृत, इसके अलावे उपयुक्त सभी दो-दो की संख्या में होते है।
यकृत, इसके अलावे उपयुक्त सभी दो-दो की संख्या में होते है।
यदि घंटे की सूई 5 पर और मिनट की सूई 3 पर हो, तो दोनों के बीच कितने डिग्री का कोण बनेगा ?
उतर –67.5
उतर –67.5
उतर –67.5
मंगलवार दोपहर 2 बजे 3 मिनट पीछे है और गुरुवार दोपहर 2 बजे को 5 मिनट आगे है। इसने ठीक समय कब दिखाया था ?
ans-बुधवार सुबह 8 बजे
ans-बुधवार सुबह 8 बजे
ans-बुधवार सुबह 8 बजे
यदि शब्द CAT को ECV लिखा जाता है तो DOG को क्या लिखा जाएगा ?
Answer – FQI,
C+2=E A+2=C T+2=V
Answer – FQI,
C+2=E A+2=C T+2=V
Answer – FQI,
C+2=E A+2=C T+2=V
किसी शब्द कोड में TEN को RCL लिखा जाए तो उसी शब्द कोड में END को क्या लिखा जाएगा ?
Answer -CLB,
Hint: T-2=R E-2=C N-2=L
Answer -CLB,
Hint: T-2=R E-2=C N-2=L
Answer -CLB,
Hint: T-2=R E-2=C N-2=L
दी गई आकृति में अधिकतम वर्गो की संख्या है ?
1 से 3 तक सभी के वर्गो का योग करके लिख देंगे।
1 से 3 तक सभी के वर्गो का योग करके लिख देंगे।
1 से 3 तक सभी के वर्गो का योग करके लिख देंगे।
कुल त्रिभुज की संख्या बताओं
इस प्रश्न मे दो विशेष आकृतियाँ बन रही है जो दोनों Squaries मे बनती है
8+8+1+1=18
इस प्रश्न मे दो विशेष आकृतियाँ बन रही है जो दोनों Squaries मे बनती है
8+8+1+1=18
इस प्रश्न मे दो विशेष आकृतियाँ बन रही है जो दोनों Squaries मे बनती है
8+8+1+1=18
नीचे एक घन की दो स्थितियां दर्शायी गयी है। प्रतिक चिन्ह ” δ” के विपरीत फलक पर कौन सा अक्षर आयेगा?
दिये गए चित्र का निरीक्षण करते हुए 2 के विपरीत संख्या बताइऐ ?
M और N की माता है। N का विवाह O से हुआ है। Q, O से किस प्रकार संबंधित है ?
चांदनी माता है, अशोक और भूमिका की। यदि दिनेश पति है भूमिका का, तो चांदनी कौन है दिनेश की ?
ab_ _ _b_ bbaa_
Answer- baaab,
abb/aab/abb/aab
Answer- baaab,
abb/aab/abb/aab
Answer- baaab,
abb/aab/abb/aab
_ _ aba_ _ba_ ab
Answer- abbab,
ab/ab/ab/ab/ab/ab
Answer- abbab,
ab/ab/ab/ab/ab/ab
Answer- abbab,
ab/ab/ab/ab/ab/ab
यदि ‘+’ का अर्थ ‘÷’ , ‘-‘ का अर्थ ‘×’ , ‘×’ का अर्थ ‘-‘ तथा ‘÷’ का अर्थ ‘+’ है, तब 11×7+21×2÷2÷3-4 का मान है :
यदि P का अर्थ ‘×’ , A का अर्थ ‘+’ , W का अर्थ ‘÷’ तथा Y का अर्थ ‘-‘ है ,तो 13 P 3 A 11 Y 26 P 6 W 13 A 19 का मन है :
Answer – 57,
13*3+11-26*6÷ 13+19= 57
Answer – 57,
13*3+11-26*6÷ 13+19= 57
Answer – 57,
13*3+11-26*6÷ 13+19= 57
हर्षचरित लिखा गया था
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
एहोल अभिलेख के अनुसार किसे ‘सकलोत्तरपथनाथ’ कहा जाता था
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
निम्न में से कौन सी रचना हर्श द्वारा रचित नहीं है?
हर्ष के विषय में उल्लेख कहाँ से प्राप्त होता है
व्याख्या- महान शासक हर्षवर्धन स्वयं विद्वान एवं विद्या प्रेमी होने के साथ-साथ विद्वानों का उधार संरक्षक भी था। हर्ष के दरबार में अनेक विद्वान कवि एवं लेखक निवास करते थे। इनमें बाणभट्ट, मयूर तथा मातंगदिवाकर के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। बाणभट्ट उसके दरबारी कवि थे। उन्होंने हर्षचरित तथा कादम्बरी की रचना की। मयूर ने ‘सूर्य-शतक’ नामक एक सौ श्लोकों – का संग्रह लिखा।
व्याख्या- महान शासक हर्षवर्धन स्वयं विद्वान एवं विद्या प्रेमी होने के साथ-साथ विद्वानों का उधार संरक्षक भी था। हर्ष के दरबार में अनेक विद्वान कवि एवं लेखक निवास करते थे। इनमें बाणभट्ट, मयूर तथा मातंगदिवाकर के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। बाणभट्ट उसके दरबारी कवि थे। उन्होंने हर्षचरित तथा कादम्बरी की रचना की। मयूर ने ‘सूर्य-शतक’ नामक एक सौ श्लोकों – का संग्रह लिखा।
व्याख्या- महान शासक हर्षवर्धन स्वयं विद्वान एवं विद्या प्रेमी होने के साथ-साथ विद्वानों का उधार संरक्षक भी था। हर्ष के दरबार में अनेक विद्वान कवि एवं लेखक निवास करते थे। इनमें बाणभट्ट, मयूर तथा मातंगदिवाकर के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। बाणभट्ट उसके दरबारी कवि थे। उन्होंने हर्षचरित तथा कादम्बरी की रचना की। मयूर ने ‘सूर्य-शतक’ नामक एक सौ श्लोकों – का संग्रह लिखा।
हर्ष को पराजित करने वाला वह नृपति कौन था
*****- चालुक्य वंशी शासक पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख से हर्ष और पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए युद्ध का विवरण प्राप्त होता है। उस समय पुलकेशिन भी एक शक्तिशाली राजा था तथा अपना विस्तार उत्तर की ओर करना चाहता था। परिणामस्वरूप हर्ष और पलकेशिन के बीच नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ, जिसमें हर्ष की पराजय हुई थी। एहोल अभिलेख के अनुसार “अपार ऐश्वर्य द्वारा पालित सामंतों की मुकुट-मणियों की आभा से आच्छादित हो रहे थे चरण कमल जिसके, युद्ध में हाथियों की सेना के मारे जाने के कारण जो भयानक दिखाई दे रहा था। ऐसे हर्ष के आनंद को उसने (पुलकेशिन) भय से विगलित कर दिया।” हेनसांग भी पुलकेशिन की प्रशंसा करता है तथा हर्ष के साथ युद्ध का विवरण देता है।
*****- चालुक्य वंशी शासक पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख से हर्ष और पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए युद्ध का विवरण प्राप्त होता है। उस समय पुलकेशिन भी एक शक्तिशाली राजा था तथा अपना विस्तार उत्तर की ओर करना चाहता था। परिणामस्वरूप हर्ष और पलकेशिन के बीच नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ, जिसमें हर्ष की पराजय हुई थी। एहोल अभिलेख के अनुसार “अपार ऐश्वर्य द्वारा पालित सामंतों की मुकुट-मणियों की आभा से आच्छादित हो रहे थे चरण कमल जिसके, युद्ध में हाथियों की सेना के मारे जाने के कारण जो भयानक दिखाई दे रहा था। ऐसे हर्ष के आनंद को उसने (पुलकेशिन) भय से विगलित कर दिया।” हेनसांग भी पुलकेशिन की प्रशंसा करता है तथा हर्ष के साथ युद्ध का विवरण देता है।
*****- चालुक्य वंशी शासक पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख से हर्ष और पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए युद्ध का विवरण प्राप्त होता है। उस समय पुलकेशिन भी एक शक्तिशाली राजा था तथा अपना विस्तार उत्तर की ओर करना चाहता था। परिणामस्वरूप हर्ष और पलकेशिन के बीच नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ, जिसमें हर्ष की पराजय हुई थी। एहोल अभिलेख के अनुसार “अपार ऐश्वर्य द्वारा पालित सामंतों की मुकुट-मणियों की आभा से आच्छादित हो रहे थे चरण कमल जिसके, युद्ध में हाथियों की सेना के मारे जाने के कारण जो भयानक दिखाई दे रहा था। ऐसे हर्ष के आनंद को उसने (पुलकेशिन) भय से विगलित कर दिया।” हेनसांग भी पुलकेशिन की प्रशंसा करता है तथा हर्ष के साथ युद्ध का विवरण देता है।
दिल्ली का प्रथम सुल्तान कौन था जिसने दरवार में गैर इस्लामी प्रथाओं का प्रचलन प्रारम्भ किया?
दिल्ली के किस सुल्तान को उसकी उदारता के कारण ‘लाखबक्श’ पुकारा जाता था? .
बलबन प्रसिद्ध था-
: ******
: ******
: ******
दिल्ली सल्तनत की स्थापना की पारम्परिक तिथि निम्नलिखित तिथियों में से कौन थी
*****- दिल्ली सल्तनत की स्थापना की पारम्परिक तिथि 1206 ई. को माना जाता है।1206 ई. में ही कुतुबुद्दीन ऐबक ने शासक के रूप में अपना राज्याभिषेक करवाया था।
*****- दिल्ली सल्तनत की स्थापना की पारम्परिक तिथि 1206 ई. को माना जाता है।1206 ई. में ही कुतुबुद्दीन ऐबक ने शासक के रूप में अपना राज्याभिषेक करवाया था।
*****- दिल्ली सल्तनत की स्थापना की पारम्परिक तिथि 1206 ई. को माना जाता है।1206 ई. में ही कुतुबुद्दीन ऐबक ने शासक के रूप में अपना राज्याभिषेक करवाया था।
सुल्तान जो अपने को ‘नायब-ए-खुदाई’ (ईश्वर की प्रतिनिधि) कहता था, कौन था
किसने ‘तुर्कान-ए-चहालगानी’ को भंग कर दिया था?
लेनपूल के शब्दों में – “बलबन विरोधियों पर बांज के समान टूट पड़ा उसने बड़ी कठोरता के साथ विद्रोहियों के स्थान फूंक डाले तथा उनका वध करके खून की नदियां बहा दी। निरंकुश शासन की दृढ़ता के अभिवृद्धि के लिए यह आवश्यक था।”
लेनपूल के शब्दों में – “बलबन विरोधियों पर बांज के समान टूट पड़ा उसने बड़ी कठोरता के साथ विद्रोहियों के स्थान फूंक डाले तथा उनका वध करके खून की नदियां बहा दी। निरंकुश शासन की दृढ़ता के अभिवृद्धि के लिए यह आवश्यक था।”
लेनपूल के शब्दों में – “बलबन विरोधियों पर बांज के समान टूट पड़ा उसने बड़ी कठोरता के साथ विद्रोहियों के स्थान फूंक डाले तथा उनका वध करके खून की नदियां बहा दी। निरंकुश शासन की दृढ़ता के अभिवृद्धि के लिए यह आवश्यक था।”
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिणी अभियानों में उसकी सेना का नेतृत्व किसने किया था?
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
अलाउद्दीन खिलजी के साथ कौन फारसी विद्वान चित्तौड़ पर चढ़ाई के समय गया था
व्याख्या-
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था जो अत्यंत सुन्दर थी। यद्यपि इस कहानी को सत्य मानने लिए हमारे पास अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
व्याख्या-
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था जो अत्यंत सुन्दर थी। यद्यपि इस कहानी को सत्य मानने लिए हमारे पास अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
व्याख्या-
मलिक मुहम्मद जायसी के ग्रंथ ‘पद्मावत’ के अनुसार अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर आक्रमण राणा रतन सिंह.की पत्नी पद्मिनी को प्राप्त करने के उद्देश्य से किया था जो अत्यंत सुन्दर थी। यद्यपि इस कहानी को सत्य मानने लिए हमारे पास अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के
नीचे दिये कूट का उपयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिये:
सूची I(मूल नाम) सची II. (सम्बन्धित विभाग)
A दीवान-ए-विजारत 1. सेना
B दीवान-ए-अर्ज 2. शाही पत्र-व्यवहार
C दीवान-ए-इंशा 3. विदेश-सम्बन्ध
D दीवान-ए-रिसालत 4. वित्त :
व्याख्या-
‘दीवान-ए-विजारत’ नामक विभाग का अध्यक्ष ‘वजीर’ कहलाता था।
‘दीवाने अर्ज’ को सैन्य विभाग कहा जाता था
‘दीवाने-इंशा’, शाही सचिवालय होता था
था।
‘दीवान-ए-रिसालत का सम्बन्ध विदेश विभाग से था
व्याख्या-
‘दीवान-ए-विजारत’ नामक विभाग का अध्यक्ष ‘वजीर’ कहलाता था।
‘दीवाने अर्ज’ को सैन्य विभाग कहा जाता था
‘दीवाने-इंशा’, शाही सचिवालय होता था
था।
‘दीवान-ए-रिसालत का सम्बन्ध विदेश विभाग से था
व्याख्या-
‘दीवान-ए-विजारत’ नामक विभाग का अध्यक्ष ‘वजीर’ कहलाता था।
‘दीवाने अर्ज’ को सैन्य विभाग कहा जाता था
‘दीवाने-इंशा’, शाही सचिवालय होता था
था।
‘दीवान-ए-रिसालत का सम्बन्ध विदेश विभाग से था
“दीवान-ए-अमीर कोही’ (कृषि विभाग) की स्थापना किस ने की ?
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
फारसी राजदूत अब्दुर्रज्जाक किसके शासनकाल में विजयनगर राज्य में आया था
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
निम्नलिखित में से कौन शासक तेलगू और संस्कृत दोनों का विद्वान था
व्याख्या –
व्याख्या –
व्याख्या –
कृष्णदेव राय के दरबार में ‘अष्टदिग्गज’ कौन थे
व्याख्या –
व्याख्या –
व्याख्या –
बाबर की आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ जिस भाषा में लिखी गयी थी,
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने किसको पराजित किया था
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
शेरशाह सूरी की मृत्यु कहां हुई.
व्याख्या.
*****शेरशाह लगभग एक वर्ष तक इस दुर्ग का घेरा डाले रहा, किन्तु सभी संभव उपाय करने के बाद भी इस दुर्ग को जीतने में असफल रहा। अंततः दुर्ग की दीवारों को गोला-बारूद से उड़ाने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा। बड़ी तोपों के लिए ‘शवतें’ और ‘शरकोब’ निर्मित किये गये और उनके ऊपर से किले की दीवार पर 22 मई, 1545 को शेरशाह ने गोले-बारी आरम्भ करने की आज्ञा दे दी। जब सैनिक हुक्के (गोले) फेंकने में व्यस्त थे, तो बारूद से भरा हुआ एक गोला दुर्ग की दीवार से टकरा कर वहाँ गिरा, जहां बारूद से भरे हुए बहुत से गोले रखे हुए थे. जिससे गोलों में आग लग गई और एक भयंकर विस्फोट हुआ। दुर्घटना से शेरशाह बुरी तरह जल गया और मृत्यु को प्राप्त हुआ (22 मई 1545 ई.) किन्तु मरने से पूर्व उसकी सेना ने कालिंजर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
व्याख्या.
*****शेरशाह लगभग एक वर्ष तक इस दुर्ग का घेरा डाले रहा, किन्तु सभी संभव उपाय करने के बाद भी इस दुर्ग को जीतने में असफल रहा। अंततः दुर्ग की दीवारों को गोला-बारूद से उड़ाने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा। बड़ी तोपों के लिए ‘शवतें’ और ‘शरकोब’ निर्मित किये गये और उनके ऊपर से किले की दीवार पर 22 मई, 1545 को शेरशाह ने गोले-बारी आरम्भ करने की आज्ञा दे दी। जब सैनिक हुक्के (गोले) फेंकने में व्यस्त थे, तो बारूद से भरा हुआ एक गोला दुर्ग की दीवार से टकरा कर वहाँ गिरा, जहां बारूद से भरे हुए बहुत से गोले रखे हुए थे. जिससे गोलों में आग लग गई और एक भयंकर विस्फोट हुआ। दुर्घटना से शेरशाह बुरी तरह जल गया और मृत्यु को प्राप्त हुआ (22 मई 1545 ई.) किन्तु मरने से पूर्व उसकी सेना ने कालिंजर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
व्याख्या.
*****शेरशाह लगभग एक वर्ष तक इस दुर्ग का घेरा डाले रहा, किन्तु सभी संभव उपाय करने के बाद भी इस दुर्ग को जीतने में असफल रहा। अंततः दुर्ग की दीवारों को गोला-बारूद से उड़ाने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा। बड़ी तोपों के लिए ‘शवतें’ और ‘शरकोब’ निर्मित किये गये और उनके ऊपर से किले की दीवार पर 22 मई, 1545 को शेरशाह ने गोले-बारी आरम्भ करने की आज्ञा दे दी। जब सैनिक हुक्के (गोले) फेंकने में व्यस्त थे, तो बारूद से भरा हुआ एक गोला दुर्ग की दीवार से टकरा कर वहाँ गिरा, जहां बारूद से भरे हुए बहुत से गोले रखे हुए थे. जिससे गोलों में आग लग गई और एक भयंकर विस्फोट हुआ। दुर्घटना से शेरशाह बुरी तरह जल गया और मृत्यु को प्राप्त हुआ (22 मई 1545 ई.) किन्तु मरने से पूर्व उसकी सेना ने कालिंजर के दुर्ग पर अधिकार कर लिया था।
पानीपत का द्वितीय युद्ध किसके-किसके बीच हुआ
व्याख्या-
व्याख्या-
व्याख्या-
‘नालीनुमा अपरदन सर्वाधिक पाया जाता है
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
व्याख्या : अवनालिका या नालीनुमा अपरदन चम्बल बेसिन (कोटा, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर) में देखने
को मिलता है।
निम्न में से कौन सी नदी राजस्थान के आंतरिक अपवाह तंत्र से संबंद्ध नहीं है ?
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
व्याख्या : अपवाह प्रणाली के अनुसार राजस्थान में तीन प्रकार के प्रवाह की नदियाँ है- (
(B) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (23%)
(C) अरब सागर अपवाह तंत्र (17%)।
निम्नलिखित अरावली पर्वत शिखर है, इन शिखरों (चोटियों) को उँचाई के अनुसार घटते क्रम में व्यवस्थित
कीजिए
(A) गुरुशिखर
(B) अचलगढ़
(C) देलवाड़ा
(D) सेर
(E) कुम्भलगढ़
व्याख्या :
व्याख्या :
व्याख्या :
निम्नलिखित में से राजस्थान के किस जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सबसे छोटी है ?
व्याख्या : राजस्थान, पाकिस्तान के साथ 1070 किमी. लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाता है, जिसे रेडक्लिफ रेखा
कहा जाता है। राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा हिन्दुमलकोट (गंगानगर) से बाखासर/शाहगढ़ (बाड़मेर) तक है। राजस्थान के 4 जिले अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाते है। जैसलमेर (464), बाड़मेर (228), गंगानगर (210), बीकानेर(168)।
व्याख्या : राजस्थान, पाकिस्तान के साथ 1070 किमी. लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाता है, जिसे रेडक्लिफ रेखा
कहा जाता है। राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा हिन्दुमलकोट (गंगानगर) से बाखासर/शाहगढ़ (बाड़मेर) तक है। राजस्थान के 4 जिले अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाते है। जैसलमेर (464), बाड़मेर (228), गंगानगर (210), बीकानेर(168)।
व्याख्या : राजस्थान, पाकिस्तान के साथ 1070 किमी. लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाता है, जिसे रेडक्लिफ रेखा
कहा जाता है। राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा हिन्दुमलकोट (गंगानगर) से बाखासर/शाहगढ़ (बाड़मेर) तक है। राजस्थान के 4 जिले अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाते है। जैसलमेर (464), बाड़मेर (228), गंगानगर (210), बीकानेर(168)।
राजस्थान के जिस जिले से अधिकतम जिलों की सीमाएँ स्पर्श करती हैं, वह है
व्याख्या : पाली की सीमा सर्वाधिक 8 जिलों से लगती है
सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, अजमेर, नागौर, जालौर, जोधपुर, राजसमंद
व्याख्या : पाली की सीमा सर्वाधिक 8 जिलों से लगती है
सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, अजमेर, नागौर, जालौर, जोधपुर, राजसमंद
व्याख्या : पाली की सीमा सर्वाधिक 8 जिलों से लगती है
सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, अजमेर, नागौर, जालौर, जोधपुर, राजसमंद
राजस्थान के किस जिले में जरगा पर्वत है?
व्याख्या : जरगा पर्वत, दक्षिणी अरावली के मेवाड़ खण्ड के उदयपुर जिले में है इसकी उँचाई 1431 मीटर है। उदयपुर की जरगा व रागा पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र जो वर्ष भर हरा-भरा रहता है। उसे देशहरो कहा जाता है।
व्याख्या : जरगा पर्वत, दक्षिणी अरावली के मेवाड़ खण्ड के उदयपुर जिले में है इसकी उँचाई 1431 मीटर है। उदयपुर की जरगा व रागा पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र जो वर्ष भर हरा-भरा रहता है। उसे देशहरो कहा जाता है।
व्याख्या : जरगा पर्वत, दक्षिणी अरावली के मेवाड़ खण्ड के उदयपुर जिले में है इसकी उँचाई 1431 मीटर है। उदयपुर की जरगा व रागा पहाड़ियों के बीच का क्षेत्र जो वर्ष भर हरा-भरा रहता है। उसे देशहरो कहा जाता है।
राजस्थान में अरावली श्रेणी की लगभग लम्बाई है
व्याख्या : अरावली पर्वत श्रेणी की कुल लम्बाई (पालनपुर-गुजरात से रायसीना हिल्स-दिल्ली तक) 692 किमी.
है। इसमें से 550 किमी. (80%) राजस्थान में है। खेड़बह्मा (सिरोही) से खेतड़ी (झुन्झुनूं) तक।
व्याख्या : अरावली पर्वत श्रेणी की कुल लम्बाई (पालनपुर-गुजरात से रायसीना हिल्स-दिल्ली तक) 692 किमी.
है। इसमें से 550 किमी. (80%) राजस्थान में है। खेड़बह्मा (सिरोही) से खेतड़ी (झुन्झुनूं) तक।
व्याख्या : अरावली पर्वत श्रेणी की कुल लम्बाई (पालनपुर-गुजरात से रायसीना हिल्स-दिल्ली तक) 692 किमी.
है। इसमें से 550 किमी. (80%) राजस्थान में है। खेड़बह्मा (सिरोही) से खेतड़ी (झुन्झुनूं) तक।
अनास, एराव व सोम जिस नदी की सहायक नदियाँ हैं, वह है
माही नदी की सहायक नदियां-
1. इरू नदी
2. सोम नदी
3. जाखम नदी
4. अनास नदी
5. हरण नदी
6. चाप नदी
7. मोरेन व भादर नदी
➯माही नदी की सहायक नदियों में इरू नदी माही नदी में माही बांध से पहले मिल जाती है तथा शेष सभी सहायक नदियां माही बांध के बाद इसमें आकर मिलती है।
➯चाप नदी व अनास नदी माही नदी में बायीं तरफ से तथा शेष सहायक नदियां दायीं ओर से मिलती है।
***कर्क रेखा-
➯माही नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को अंर्राष्ट्रीय स्तर पर दो बार काटती है या दो बार पार करती है।
**डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा-
➯माही नदी राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिलों के बीच से गुजर कर सीमा बनाती है।
माही नदी की सहायक नदियां-
1. इरू नदी
2. सोम नदी
3. जाखम नदी
4. अनास नदी
5. हरण नदी
6. चाप नदी
7. मोरेन व भादर नदी
➯माही नदी की सहायक नदियों में इरू नदी माही नदी में माही बांध से पहले मिल जाती है तथा शेष सभी सहायक नदियां माही बांध के बाद इसमें आकर मिलती है।
➯चाप नदी व अनास नदी माही नदी में बायीं तरफ से तथा शेष सहायक नदियां दायीं ओर से मिलती है।
***कर्क रेखा-
➯माही नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को अंर्राष्ट्रीय स्तर पर दो बार काटती है या दो बार पार करती है।
**डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा-
➯माही नदी राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिलों के बीच से गुजर कर सीमा बनाती है।
माही नदी की सहायक नदियां-
1. इरू नदी
2. सोम नदी
3. जाखम नदी
4. अनास नदी
5. हरण नदी
6. चाप नदी
7. मोरेन व भादर नदी
➯माही नदी की सहायक नदियों में इरू नदी माही नदी में माही बांध से पहले मिल जाती है तथा शेष सभी सहायक नदियां माही बांध के बाद इसमें आकर मिलती है।
➯चाप नदी व अनास नदी माही नदी में बायीं तरफ से तथा शेष सहायक नदियां दायीं ओर से मिलती है।
***कर्क रेखा-
➯माही नदी एकमात्र ऐसी नदी है जो कर्क रेखा को अंर्राष्ट्रीय स्तर पर दो बार काटती है या दो बार पार करती है।
**डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा-
➯माही नदी राजस्थान के डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा जिलों के बीच से गुजर कर सीमा बनाती है।
राजस्थान में किस वर्ष में एकीकृत जलग्रहण विकास कार्यक्रम आरम्भ हुआ?
व्याख्या : राजस्थान में
व्याख्या : राजस्थान में
व्याख्या : राजस्थान में
अलाउद्दीन खिलजी की निम्नांकित विजयों को कालक्रमानुसार व्यवस्थित कीजिए
(A) रणथम्भौर
(B) जालौर
(C) चित्तौड़
(D) सिवाना
व्याख्या : अलाउद्दीन की प्रश्नानुसार दी गई विजयों का सही क्रम है –
व्याख्या : अलाउद्दीन की प्रश्नानुसार दी गई विजयों का सही क्रम है –
व्याख्या : अलाउद्दीन की प्रश्नानुसार दी गई विजयों का सही क्रम है –