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Question 1 of 10
1. Question
2 points
उत्तर-हड़प्पा काल की ताम्र-निधि संस्कृति निम्नलिखित में से किस एक मृद भांड प्रकार से अंतरिम रूप से पहचानी गई है?
Correct
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Incorrect
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Unattempted
व्याख्या-
गेरुवर्णी मृदभांड उत्तर हड़प्पा काल की ताम्र निधि संस्कृति से अंतिम रूप से पहचाना जता है ।
Question 2 of 10
2. Question
2 points
बाईसवें तीर्थकर कौन थे?
Correct
व्याख्या-
जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे
प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ
22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि,
23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ
24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Incorrect
व्याख्या-
जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे
प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ
22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि,
23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ
24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Unattempted
व्याख्या-
जैन धर्म के अनुसार कुल 24 तीर्थकर थे
प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव या आदिनाथ
22 वें तीर्थकर अरिष्टनेमि,
23 वें तीर्थकर पार्श्वनाथ
24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
Question 3 of 10
3. Question
2 points
निम्नलिखित में से किसने ब्राह्मी लिपि की सर्वप्रथम खोज की ?
Correct
व्याख्या –
अशोक के अभिलेखों में राष्ट्रीय भाषा एवं लिपि के रूप में पालि भाषा एवं ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है।
अब तक अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इन सभी अभिलेखों में तीन लिपियों का प्रयोग किया गया है
जिसमें ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक तथा आर्मेइक शामिल है।
1750 ई० में टीफेन्थैलर ने सर्वप्रथम दिल्ली में अशोक स्तम्भ का पता लगाया।
1837-38 ई० में जेम्स प्रिसेंप ने सर्वप्रथम अशोक कालीन लिपि (ब्राह्मी) का अध्ययन प्रस्तुत किया,
ब्राह्मी लिपि को पढ़ने की विधि की सर्वप्रथम खोज जेम्स प्रिंसेप ने की थी।
Incorrect
व्याख्या –
अशोक के अभिलेखों में राष्ट्रीय भाषा एवं लिपि के रूप में पालि भाषा एवं ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है।
अब तक अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इन सभी अभिलेखों में तीन लिपियों का प्रयोग किया गया है
जिसमें ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक तथा आर्मेइक शामिल है।
1750 ई० में टीफेन्थैलर ने सर्वप्रथम दिल्ली में अशोक स्तम्भ का पता लगाया।
1837-38 ई० में जेम्स प्रिसेंप ने सर्वप्रथम अशोक कालीन लिपि (ब्राह्मी) का अध्ययन प्रस्तुत किया,
ब्राह्मी लिपि को पढ़ने की विधि की सर्वप्रथम खोज जेम्स प्रिंसेप ने की थी।
Unattempted
व्याख्या –
अशोक के अभिलेखों में राष्ट्रीय भाषा एवं लिपि के रूप में पालि भाषा एवं ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है।
अब तक अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। इन सभी अभिलेखों में तीन लिपियों का प्रयोग किया गया है
जिसमें ब्राह्मी, खरोष्ठी, ग्रीक तथा आर्मेइक शामिल है।
1750 ई० में टीफेन्थैलर ने सर्वप्रथम दिल्ली में अशोक स्तम्भ का पता लगाया।
1837-38 ई० में जेम्स प्रिसेंप ने सर्वप्रथम अशोक कालीन लिपि (ब्राह्मी) का अध्ययन प्रस्तुत किया,
ब्राह्मी लिपि को पढ़ने की विधि की सर्वप्रथम खोज जेम्स प्रिंसेप ने की थी।
Question 4 of 10
4. Question
2 points
निम्नलिखित में से किसके सम्मान में शाहजहाँ ने आगरा किले की मोती मस्जिद का निर्माण करवाया था?
Correct
व्याख्या –
शाहजहाँ ने जहांआरा के सम्मान में मोती मस्जिद का निर्माण आगरा के किले में 1645-53 ई0 के मध्य करवाया था। मोती मस्जिद में लाल पत्थरों तथा संगमरमर का प्रयोग किया गया था।
मस्जिद के ऊपरी भाग में सुडौल गुम्बद तथा सुन्दर मीनारों का अच्छा समन्वय है।
मस्जिद में मेहराब, गुम्बद तथा छतरियों के संतुलित प्रयोग का समन्वय प्रदर्शित होता है।
Incorrect
व्याख्या –
शाहजहाँ ने जहांआरा के सम्मान में मोती मस्जिद का निर्माण आगरा के किले में 1645-53 ई0 के मध्य करवाया था। मोती मस्जिद में लाल पत्थरों तथा संगमरमर का प्रयोग किया गया था।
मस्जिद के ऊपरी भाग में सुडौल गुम्बद तथा सुन्दर मीनारों का अच्छा समन्वय है।
मस्जिद में मेहराब, गुम्बद तथा छतरियों के संतुलित प्रयोग का समन्वय प्रदर्शित होता है।
Unattempted
व्याख्या –
शाहजहाँ ने जहांआरा के सम्मान में मोती मस्जिद का निर्माण आगरा के किले में 1645-53 ई0 के मध्य करवाया था। मोती मस्जिद में लाल पत्थरों तथा संगमरमर का प्रयोग किया गया था।
मस्जिद के ऊपरी भाग में सुडौल गुम्बद तथा सुन्दर मीनारों का अच्छा समन्वय है।
मस्जिद में मेहराब, गुम्बद तथा छतरियों के संतुलित प्रयोग का समन्वय प्रदर्शित होता है।
Question 5 of 10
5. Question
2 points
निम्नलिखित में से किस एक स्मृति में यह कथन मिलता है। “राजपत्र कपड़े पर अथवा ताम्र पट्टिका पर लिखे जाते थे” ?
Correct
व्याख्या-
याज्ञवल्क्यस्मृति की रचना गुप्तकाल (5. वीं शताब्दी ईस्वी) में हुई।
याज्ञवल्क्यस्मृति में यह कथन मिलता है कि, “राजपत्र कपड़े पर अथवा ताम्र पट्टिका पर लिखे जाते थे।”
Incorrect
व्याख्या-
याज्ञवल्क्यस्मृति की रचना गुप्तकाल (5. वीं शताब्दी ईस्वी) में हुई।
याज्ञवल्क्यस्मृति में यह कथन मिलता है कि, “राजपत्र कपड़े पर अथवा ताम्र पट्टिका पर लिखे जाते थे।”
Unattempted
व्याख्या-
याज्ञवल्क्यस्मृति की रचना गुप्तकाल (5. वीं शताब्दी ईस्वी) में हुई।
याज्ञवल्क्यस्मृति में यह कथन मिलता है कि, “राजपत्र कपड़े पर अथवा ताम्र पट्टिका पर लिखे जाते थे।”
Question 6 of 10
6. Question
2 points
बौद्ध मत में पातिमोक्ख से क्या अभिप्राय है?
Correct
व्याख्या-
पातिमोक्ख में बौद्ध संघ के अनुशासन सम्बन्धी विधि-निषेधों तथा उसके भंग होने पर किए जाने वाले प्रायश्चितों का वर्णन है।
पातिमोक्ख बौद्ध संघ के नियम हैं।
Incorrect
व्याख्या-
पातिमोक्ख में बौद्ध संघ के अनुशासन सम्बन्धी विधि-निषेधों तथा उसके भंग होने पर किए जाने वाले प्रायश्चितों का वर्णन है।
पातिमोक्ख बौद्ध संघ के नियम हैं।
Unattempted
व्याख्या-
पातिमोक्ख में बौद्ध संघ के अनुशासन सम्बन्धी विधि-निषेधों तथा उसके भंग होने पर किए जाने वाले प्रायश्चितों का वर्णन है।
पातिमोक्ख बौद्ध संघ के नियम हैं।
Question 7 of 10
7. Question
2 points
पतंजलि का सम्बन्ध किस रचना से है?
Correct
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Incorrect
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Unattempted
व्याख्या-
पतंजलि एक महान व्याकरणाचार्य थे, जिन्हे ‘शेषनाग का अवतार’ भी कहा गया है।
पतंजलि को ‘गोणिकापुत्र’ तथा ‘गोनर्दीय’ कह कर भी पुकारा गया है।
पाणिनि, पतंजलि तथा कात्यायन को सम्मिलित रुप से मुनित्रय कहा गया है।
पतंजलि ने पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’ पर महाभाष्य नामक टीका लिखी थी
महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है।
पतंजलि के महाभाष्य नामक ग्रंथ पर भर्तृहरि, नागेश तथा केच्चट आदि विद्वानों ने टीकाएँ लिखि।
पतंजलि को दूसरी शताब्दी ई0पू0 में मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग का राजाश्रय प्राप्त किया था
पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेध यज्ञ सम्पन्न करवाया था।
Question 8 of 10
8. Question
2 points
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
उत्तर-पश्चिमी भारत में जारी किए गए गजनवी सिक्कों पर अरबी व शारदा लिपि में लिखे गये द्विभाषीय लेख हैं।
साहित्यकार एवं वृत्तांतकार बरनी तथा इसामी समकालीन थे।
महमूद गजनी के सोमनाथ आक्रमण के समय जयसिंह सिद्धराज इस क्षेत्र का चालुक्य शासक था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं.
Correct
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Incorrect
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Unattempted
व्याख्या-
पंजाब विजय के पश्चात् महमूद गजनवी ने पंजाब में प्रचलित शाही सिक्कों को अपनाया।
महमूद गजनवी ने ‘घुड़सवार’ तथा ‘नंदी’ चिन्ह युक्त सिक्कों का प्रचलन किया ,
महमूद गजनवी ने सिक्कों पर संस्कृत भाषा में “अव्यक्तमेकं अवतार महमूद” खुदवाया।
महमूद गजनवी ने संस्कृत में “अयं टंकं महमूदपूरे घटित” अर्थात टकसाल का नाम भी खुदवाया।
महमूद गजनवी के आक्रमण (1025 ई.) के समय चालुक्य वंश का शासक भीम प्रथम (1022-1064 ई.) था।
जयसिंह ‘सिद्धराज’ का काल 1094 ई. से 1153 ई. के बीच था।
फुतूह-उस-सलातीन’ के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी तथा ‘तारीखे-फिरोजशाही के लेखक जियाउद्दीन बरनी (जन्म-1285 ई.) ‘ समकालीन थे।
Question 9 of 10
9. Question
2 points
निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने इरान की राजतंत्रीय . परम्परा को ग्रहण किया तथा उन्हें भारतीय वातावरण के अनुकूल समन्वित किया? –
Correct
इल्तुतमिश ने ईरान की राजतंत्रीय परम्परा को ग्रहण किया तथा उसे भारतीय वातावरण के अनुकूल समन्वित कर एक आकार, पद ‘सोपान का निर्धारण, शासन प्रणाली तथा स्वच्छ शासन देकर वास्तविक स्वरूप प्रदान किया था।
मध्य एशिया की राजनीतिक व्यस्तता के कारण मुइजुद्दीन गोरी को भारत में उचित शासन व्यवस्था संगठित करने का समय नहीं मिला।
इल्तुतमिश ने ‘इक्ता’ प्रणाली प्रारम्भ की इक्ता का अर्थ है – धन के स्थान पर तनख्वाह के रुप में भूमि प्रदान करना
इल्तुतमिश पहला तुर्क शासक था ,जिसने शुध्द अरबी सक्के चलवाये
इल्तुतमिश ने चाँदी के ‘टका’ तथा ताँबे के ‘जीतल’ का प्रचलन किया व दिल्ली टकसाल की स्थापना करायी
भारत में पहला मकबरा इल्तुतमिश ने बनवाया इस ने दिल्ली में स्वयं के मकबरे का भी निर्माण कराया ,जो स्र्किच शैली में बना भारत का पहला मकबरा माना जाता है
कुतुबमीनार को इल्तुतमिश ने पूरा कराया व अजमेर की मस्जिद का निर्माण कराया
इल्तुतमिश को भारत में ‘गुम्बद निर्माण का पिता’ कहा जाता है उसने सुल्तानगढी का निर्माण कराया
इल्तुतमिश ने बदायूं में हौज-ए-खास (शम्सी ईदगाह) का निर्माण कराया
इल्तुतमिश के दरबारी लेखक का नाम मिन्हाज-उस-सिराज थ, जिसने प्रसिध्द ग्रंथ तबकाते-नासिरी की रचना की
Incorrect
इल्तुतमिश ने ईरान की राजतंत्रीय परम्परा को ग्रहण किया तथा उसे भारतीय वातावरण के अनुकूल समन्वित कर एक आकार, पद ‘सोपान का निर्धारण, शासन प्रणाली तथा स्वच्छ शासन देकर वास्तविक स्वरूप प्रदान किया था।
मध्य एशिया की राजनीतिक व्यस्तता के कारण मुइजुद्दीन गोरी को भारत में उचित शासन व्यवस्था संगठित करने का समय नहीं मिला।
इल्तुतमिश ने ‘इक्ता’ प्रणाली प्रारम्भ की इक्ता का अर्थ है – धन के स्थान पर तनख्वाह के रुप में भूमि प्रदान करना
इल्तुतमिश पहला तुर्क शासक था ,जिसने शुध्द अरबी सक्के चलवाये
इल्तुतमिश ने चाँदी के ‘टका’ तथा ताँबे के ‘जीतल’ का प्रचलन किया व दिल्ली टकसाल की स्थापना करायी
भारत में पहला मकबरा इल्तुतमिश ने बनवाया इस ने दिल्ली में स्वयं के मकबरे का भी निर्माण कराया ,जो स्र्किच शैली में बना भारत का पहला मकबरा माना जाता है
कुतुबमीनार को इल्तुतमिश ने पूरा कराया व अजमेर की मस्जिद का निर्माण कराया
इल्तुतमिश को भारत में ‘गुम्बद निर्माण का पिता’ कहा जाता है उसने सुल्तानगढी का निर्माण कराया
इल्तुतमिश ने बदायूं में हौज-ए-खास (शम्सी ईदगाह) का निर्माण कराया
इल्तुतमिश के दरबारी लेखक का नाम मिन्हाज-उस-सिराज थ, जिसने प्रसिध्द ग्रंथ तबकाते-नासिरी की रचना की
Unattempted
इल्तुतमिश ने ईरान की राजतंत्रीय परम्परा को ग्रहण किया तथा उसे भारतीय वातावरण के अनुकूल समन्वित कर एक आकार, पद ‘सोपान का निर्धारण, शासन प्रणाली तथा स्वच्छ शासन देकर वास्तविक स्वरूप प्रदान किया था।
मध्य एशिया की राजनीतिक व्यस्तता के कारण मुइजुद्दीन गोरी को भारत में उचित शासन व्यवस्था संगठित करने का समय नहीं मिला।
इल्तुतमिश ने ‘इक्ता’ प्रणाली प्रारम्भ की इक्ता का अर्थ है – धन के स्थान पर तनख्वाह के रुप में भूमि प्रदान करना
इल्तुतमिश पहला तुर्क शासक था ,जिसने शुध्द अरबी सक्के चलवाये
इल्तुतमिश ने चाँदी के ‘टका’ तथा ताँबे के ‘जीतल’ का प्रचलन किया व दिल्ली टकसाल की स्थापना करायी
भारत में पहला मकबरा इल्तुतमिश ने बनवाया इस ने दिल्ली में स्वयं के मकबरे का भी निर्माण कराया ,जो स्र्किच शैली में बना भारत का पहला मकबरा माना जाता है
कुतुबमीनार को इल्तुतमिश ने पूरा कराया व अजमेर की मस्जिद का निर्माण कराया
इल्तुतमिश को भारत में ‘गुम्बद निर्माण का पिता’ कहा जाता है उसने सुल्तानगढी का निर्माण कराया
इल्तुतमिश ने बदायूं में हौज-ए-खास (शम्सी ईदगाह) का निर्माण कराया
इल्तुतमिश के दरबारी लेखक का नाम मिन्हाज-उस-सिराज थ, जिसने प्रसिध्द ग्रंथ तबकाते-नासिरी की रचना की
Question 10 of 10
10. Question
2 points
कथन (A) : अलाउद्दीन ने सीरी दुर्ग का निर्माण किया।
कारण (R): वह दिल्ली को मंगोल आक्रमणों से सुरक्षित करना चाहता था।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
Correct
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Incorrect
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Unattempted
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।