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Question 1 of 10
1. Question
2 points
कथन (A) : अलाउद्दीन ने सीरी दुर्ग का निर्माण किया।
कारण (R): वह दिल्ली को मंगोल आक्रमणों से सुरक्षित करना चाहता था।
उपर्युक्त दोनों कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
Correct
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Incorrect
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Unattempted
व्याख्या –
सीरी दुर्ग का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने मंगोल आक्रमणों से दिल्ली की रक्षा हेतु करवाया था।
Question 2 of 10
2. Question
2 points
निम्नलिखित में से किस राज्य को दिल्ली के सुल्तान बहलोल लोदी ने 1484 ई. में अधिग्रहीत कर लिया था?
Correct
व्याख्या-
बहलोल लोदी दिल्ली के प्रथम अफगान राज्य का संस्थापक था।
बहलोल लोदी का शासन काल 1451 से 1484 ई. तक था।
बहलोल लोदी ने 1484 ई. में जौनपुर के शर्की शासक हुसैन शाह को पराजित कर जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
सुल्तान मुहम्मद शाह ने बहलोल की सेवाओं से प्रसन्न होकर उसे ‘खानेजहाँ की उपाधि प्रदान की थी।
बहलोल लोदी ने अपने अफगान अनुयायियों के साथ ऐसा व्यवहार किया कि मानो वह अफगान अमीरों में से ही एक था।
बहलोल लोदी स्वयं सिंहासन पर न बैठकर उनके सामने कालीन पर बैठता था
Incorrect
व्याख्या-
बहलोल लोदी दिल्ली के प्रथम अफगान राज्य का संस्थापक था।
बहलोल लोदी का शासन काल 1451 से 1484 ई. तक था।
बहलोल लोदी ने 1484 ई. में जौनपुर के शर्की शासक हुसैन शाह को पराजित कर जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
सुल्तान मुहम्मद शाह ने बहलोल की सेवाओं से प्रसन्न होकर उसे ‘खानेजहाँ की उपाधि प्रदान की थी।
बहलोल लोदी ने अपने अफगान अनुयायियों के साथ ऐसा व्यवहार किया कि मानो वह अफगान अमीरों में से ही एक था।
बहलोल लोदी स्वयं सिंहासन पर न बैठकर उनके सामने कालीन पर बैठता था
Unattempted
व्याख्या-
बहलोल लोदी दिल्ली के प्रथम अफगान राज्य का संस्थापक था।
बहलोल लोदी का शासन काल 1451 से 1484 ई. तक था।
बहलोल लोदी ने 1484 ई. में जौनपुर के शर्की शासक हुसैन शाह को पराजित कर जौनपुर को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
सुल्तान मुहम्मद शाह ने बहलोल की सेवाओं से प्रसन्न होकर उसे ‘खानेजहाँ की उपाधि प्रदान की थी।
बहलोल लोदी ने अपने अफगान अनुयायियों के साथ ऐसा व्यवहार किया कि मानो वह अफगान अमीरों में से ही एक था।
बहलोल लोदी स्वयं सिंहासन पर न बैठकर उनके सामने कालीन पर बैठता था
Question 3 of 10
3. Question
2 points
निम्न में से कौन सा एक युग्म सुमेनित नहीं है?
Correct
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Incorrect
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Unattempted
व्याख्या-
फवायद-उल-फवाद -अमीर हसन की पुस्तक है। जिसमें निजामुद्दीन औलिया के संवादों का संकलन है।
‘पृथ्वीराज विजय -जयानक भट्टकी पुस्तक है जिसमें ‘पृथ्वीराज विजंय में पृथ्वीराज चौहान द्वारा चन्देल शासक पदमार्दिदेव के विरुद्ध अभियान का उल्लेख किया है।
“किताब-उल-हिन्द’ -अलबरूनी की पुस्तक है।जिसमें हिन्दुस्तान का संवेदनशील अध्ययन किसर है।
मुन्तखब-उल-तवारीख -बदायूनी की पुस्तक है। जिसमें अकबर की धार्मिक नीति की कटु आलोचना की गई है।
Question 4 of 10
4. Question
2 points
निम्न में से कौन गलत है
Correct
व्याख्या-
उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत रामानंद ने की |
गुरू नानक-
जन्म : कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानकदेवजी का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है।
गुरू नानक ने अपनी उदार प्रवृत्ति का परिचय देते हुए हिन्दू और मुस्लिम भक्ति को समान रूप से व्यक्त करने के लिए सक्षम धर्म की खोज की।
नानक उदेश्य दोनों धर्मों को एकता के सूत्र में बाधना था ।
गुरू नानक ने जाति धर्म या रंग के भेदभाव के बिना सभी लोगों को अपना उपदेश दिया।
गुरू नानक ने ईश्वर, राम, गोविन्द, हरी, मुरारी, रब. और रहीम के लिए हिन्दू और मुस्लिम दोनों उपनामों का प्रयोग किया।
नानकदेवजी के दस सिद्धांत :
ईश्वर एक है।
सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।
बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता मांगना चाहिए।
मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
Incorrect
व्याख्या-
उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत रामानंद ने की |
गुरू नानक-
जन्म : कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानकदेवजी का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है।
गुरू नानक ने अपनी उदार प्रवृत्ति का परिचय देते हुए हिन्दू और मुस्लिम भक्ति को समान रूप से व्यक्त करने के लिए सक्षम धर्म की खोज की।
नानक उदेश्य दोनों धर्मों को एकता के सूत्र में बाधना था ।
गुरू नानक ने जाति धर्म या रंग के भेदभाव के बिना सभी लोगों को अपना उपदेश दिया।
गुरू नानक ने ईश्वर, राम, गोविन्द, हरी, मुरारी, रब. और रहीम के लिए हिन्दू और मुस्लिम दोनों उपनामों का प्रयोग किया।
नानकदेवजी के दस सिद्धांत :
ईश्वर एक है।
सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।
बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता मांगना चाहिए।
मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
Unattempted
व्याख्या-
उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत रामानंद ने की |
गुरू नानक-
जन्म : कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन 1469 को तलवंडी नामक स्थान में, कल्याणचंद (मेहता कालू) नाम के एक किसान के घर गुरु नानकदेवजी का जन्म हुआ। उनकी माता का नाम तृप्ता था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो पाकिस्तान में है।
गुरू नानक ने अपनी उदार प्रवृत्ति का परिचय देते हुए हिन्दू और मुस्लिम भक्ति को समान रूप से व्यक्त करने के लिए सक्षम धर्म की खोज की।
नानक उदेश्य दोनों धर्मों को एकता के सूत्र में बाधना था ।
गुरू नानक ने जाति धर्म या रंग के भेदभाव के बिना सभी लोगों को अपना उपदेश दिया।
गुरू नानक ने ईश्वर, राम, गोविन्द, हरी, मुरारी, रब. और रहीम के लिए हिन्दू और मुस्लिम दोनों उपनामों का प्रयोग किया।
नानकदेवजी के दस सिद्धांत :
ईश्वर एक है।
सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
जगत का कर्ता सब जगह और सब प्राणी मात्र में मौजूद है।
सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता।
ईमानदारी से मेहनत करके उदरपूर्ति करना चाहिए।
बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
सदा प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने को क्षमाशीलता मांगना चाहिए।
मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके उसमें से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए।
सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
भोजन शरीर को जिंदा रखने के लिए जरूरी है पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
Question 5 of 10
5. Question
2 points
महाभारत का तेलगू संस्करण किसने लिखा?
Correct
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Incorrect
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Unattempted
व्याख्या-
महाभारत का तेलुगू संस्करण नन्नया ने लिखा था।
प्रथम तेलुगू रचना ग्यारहवीं सदी की प्रतीत होती है।
यह चंपू शैली में लिखित ‘महाभारत’ का तेलुगू रूपान्तर है
महाभारत का तेलुगू संस्करण प्रारम्भ नन्नया ने किया, तिकन्ना ने चालू रखा तथा येराप्रगडा ने चौदहवीं शताब्दी में समाप्त किया।
Question 6 of 10
6. Question
2 points
उत्तर-औरंगजेब कालीन मुगल राज्य से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
फर्रुखसियर को राजगद्दी जुल्फिकार खान तथा इमाद-उल मुल्क के कारण मिली थी।
औरंगजेब ने अपनी वसीयत छोड़ी थी जिसके अनुसार उसकी मृत्यु के उपरान्त मुगल साम्राज्य को उसके तीन जीवित पुत्रों के बीच बांटा जाना था।
मुहम्मद शाह को दक्कन के निजाम-उल मुल्क ने सहायता दी थी।
उपर्युक्त कथनों में से कौनसा/से सही है/है?.
Correct
व्याख्या-
जहाँदार शाह जुल्फिकार खान की सहायता से शासक बना था
जहाँदार शाह की हत्या बाद में फर्रुखसियर ने करवा दी थी।
सैयद बन्धुओं अब्दुल्ला खाँ और हुसैन अली खाँ की सहायता से 1713 ई0 में फर्रुखसियर को राजगद्दी प्राप्त हुई फर्रुखसियर ने अब्दुल्ला खाँ को वजीर का पद एवं कुतुबुलमुल्क’ की उपाधि दी
फर्रुखसियर ने हुसैन अली को अमीर-उल-उमरा तथा मीर बख्शी का पद प्रदान किया था।
औरंगजेब ने अपनी मृत्यु से पहले अपने जीवित पुत्रों में साम्राज्य को विभाजित करने की वसीयत की थी
मुहम्मद शाह के शासन काल में ही निजामुल-मुल्क ने हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी।
‘मुगल शासक अहमदशाह (1748-54 ई0) का वजीर “इमाद-उल-मुल्क था।
Incorrect
व्याख्या-
जहाँदार शाह जुल्फिकार खान की सहायता से शासक बना था
जहाँदार शाह की हत्या बाद में फर्रुखसियर ने करवा दी थी।
सैयद बन्धुओं अब्दुल्ला खाँ और हुसैन अली खाँ की सहायता से 1713 ई0 में फर्रुखसियर को राजगद्दी प्राप्त हुई फर्रुखसियर ने अब्दुल्ला खाँ को वजीर का पद एवं कुतुबुलमुल्क’ की उपाधि दी
फर्रुखसियर ने हुसैन अली को अमीर-उल-उमरा तथा मीर बख्शी का पद प्रदान किया था।
औरंगजेब ने अपनी मृत्यु से पहले अपने जीवित पुत्रों में साम्राज्य को विभाजित करने की वसीयत की थी
मुहम्मद शाह के शासन काल में ही निजामुल-मुल्क ने हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी।
‘मुगल शासक अहमदशाह (1748-54 ई0) का वजीर “इमाद-उल-मुल्क था।
Unattempted
व्याख्या-
जहाँदार शाह जुल्फिकार खान की सहायता से शासक बना था
जहाँदार शाह की हत्या बाद में फर्रुखसियर ने करवा दी थी।
सैयद बन्धुओं अब्दुल्ला खाँ और हुसैन अली खाँ की सहायता से 1713 ई0 में फर्रुखसियर को राजगद्दी प्राप्त हुई फर्रुखसियर ने अब्दुल्ला खाँ को वजीर का पद एवं कुतुबुलमुल्क’ की उपाधि दी
फर्रुखसियर ने हुसैन अली को अमीर-उल-उमरा तथा मीर बख्शी का पद प्रदान किया था।
औरंगजेब ने अपनी मृत्यु से पहले अपने जीवित पुत्रों में साम्राज्य को विभाजित करने की वसीयत की थी
मुहम्मद शाह के शासन काल में ही निजामुल-मुल्क ने हैदराबाद राज्य की स्थापना की थी।
‘मुगल शासक अहमदशाह (1748-54 ई0) का वजीर “इमाद-उल-मुल्क था।
Question 7 of 10
7. Question
2 points
सूची I को सूची II से सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए
सूची ।(इसका स्थान) सूची II (किले का नाम)
A फोर्ट सेंट डेविड 1. पांडिचेरी
B फोर्ट विलियम 2. कड्डलोर
C फोर्ट सेंट जार्ज 3. बंगाल
D फोट लुई 4. मद्रास
Correct
व्याख्या-
फोर्ट सेंट जार्ज-
1632 ई० में गोलकुण्डा के सुल्तान से स्वर्णिम फरमान प्राप्त करने के बाद अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा परमेला वेंकटप्पा से मद्रास को पट्टे पर लिया
फ्रांसिस डे ने मद्रास में एक किलाबंदी कोठी का निर्माण किया।
मद्रास की कोठी का नाम फोर्ट सेंट जार्ज पड़ा
सितम्बर, 1641 ई० में कम्पनी का मुख्यालय मसूलीपट्टम से मद्रास स्थित फोर्ट सेन्ट जार्ज में स्थानान्तरित कर दिया गया।
फोर्ट विलियम *
फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना लार्ड वेलेजली के समय में हुई।
1697 ई० में कलकत्ता में फोर्ट विलियम की नींव पड़ी।
फोट लुई –
1701 में पाण्डिचेरी को फ्रांसीसियों की सभी बस्तियों का मुख्यालय बनाया गया
फ्रेकों मार्टिन ने पाण्डिचेरी की फैक्ट्री में फोर्ट लुई का निर्माण किया ।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड-
फोर्ट सेंट डेविड कड्डलोर में स्थित है।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह क़िला पांडिचेरी से कुछ दक्षिण में चोलमंडल तट पर स्थित है।
Incorrect
व्याख्या-
फोर्ट सेंट जार्ज-
1632 ई० में गोलकुण्डा के सुल्तान से स्वर्णिम फरमान प्राप्त करने के बाद अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा परमेला वेंकटप्पा से मद्रास को पट्टे पर लिया
फ्रांसिस डे ने मद्रास में एक किलाबंदी कोठी का निर्माण किया।
मद्रास की कोठी का नाम फोर्ट सेंट जार्ज पड़ा
सितम्बर, 1641 ई० में कम्पनी का मुख्यालय मसूलीपट्टम से मद्रास स्थित फोर्ट सेन्ट जार्ज में स्थानान्तरित कर दिया गया।
फोर्ट विलियम *
फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना लार्ड वेलेजली के समय में हुई।
1697 ई० में कलकत्ता में फोर्ट विलियम की नींव पड़ी।
फोट लुई –
1701 में पाण्डिचेरी को फ्रांसीसियों की सभी बस्तियों का मुख्यालय बनाया गया
फ्रेकों मार्टिन ने पाण्डिचेरी की फैक्ट्री में फोर्ट लुई का निर्माण किया ।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड-
फोर्ट सेंट डेविड कड्डलोर में स्थित है।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह क़िला पांडिचेरी से कुछ दक्षिण में चोलमंडल तट पर स्थित है।
Unattempted
व्याख्या-
फोर्ट सेंट जार्ज-
1632 ई० में गोलकुण्डा के सुल्तान से स्वर्णिम फरमान प्राप्त करने के बाद अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा परमेला वेंकटप्पा से मद्रास को पट्टे पर लिया
फ्रांसिस डे ने मद्रास में एक किलाबंदी कोठी का निर्माण किया।
मद्रास की कोठी का नाम फोर्ट सेंट जार्ज पड़ा
सितम्बर, 1641 ई० में कम्पनी का मुख्यालय मसूलीपट्टम से मद्रास स्थित फोर्ट सेन्ट जार्ज में स्थानान्तरित कर दिया गया।
फोर्ट विलियम *
फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना लार्ड वेलेजली के समय में हुई।
1697 ई० में कलकत्ता में फोर्ट विलियम की नींव पड़ी।
फोट लुई –
1701 में पाण्डिचेरी को फ्रांसीसियों की सभी बस्तियों का मुख्यालय बनाया गया
फ्रेकों मार्टिन ने पाण्डिचेरी की फैक्ट्री में फोर्ट लुई का निर्माण किया ।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड-
फोर्ट सेंट डेविड कड्डलोर में स्थित है।
फ़ोर्ट सेण्ट डेविड का निर्माण ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा 18वीं शताब्दी में करवाया था। यह क़िला पांडिचेरी से कुछ दक्षिण में चोलमंडल तट पर स्थित है।
Question 8 of 10
8. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा सही नहीं है?
विद्रोह नायक
Correct
व्याख्या–
मुंडा विद्रोह(1890- 1900 ई०)
यह विद्रोह छोटानागपुर पठार(झारखंड) क्षेत्र में हुआ था,इसे उलगुलान विद्रोह(महान हलचल) के नाम से भी जाना जाता है।
यह आंदोलन सामाजिक धार्मिक सुधार के रूप में प्रारंभ हुआ था परंतु शीघ्र ही यह अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन का रूप धारण कर देता है।
इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था तथा उन्होंने स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित किया तथा अनेक ईश्वर को मानने के स्थान पर सिंहबोंगा(एकेश्वरवाद) की आराधना का उपदेश दिया।
इस विद्रोह के प्रमुख कारणों में खुंटीकुटी के अधिकारों का उल्लंघन ,अंग्रेजों की शोषणपरक नीतियां,साहूकारों -जमींदारों द्वारा वसूली तथा जनजातीय समाज में हस्तक्षेप आदि थे।
मुंडा समुदाय ने अंग्रेजों पर तीव्र हमले के लिए परंतु अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के कारण इस विद्रोह को दबा दिया गया।
नोट:-खुंटीकुटी प्रथा में सामूहिक भू स्वामित्व पर आधारित कृषि व्यवस्था पर बल दिया जाता था परंतु अंग्रेजों इस व्यवस्था को समाप्त कर निजी भू स्वामित्व की व्यवस्था लागू की थी।
1855-56 छोटानागपुर में सिद्धू और कान्हूँ के नेतृत्व में प्रसिद्ध संथाल विद्रोह हुआ।
1828 से 33 ई0 के बीच असम में गोमधर कुँवर के नेतृत्व में प्रसिद्ध अहोम विद्रोह हुआ था।
1858-59 ई0 में नायकदा विद्रोह रूपसिंह के नेतृत्व में पंच महल (गुजरात) में हुआ ।
Incorrect
व्याख्या–
मुंडा विद्रोह(1890- 1900 ई०)
यह विद्रोह छोटानागपुर पठार(झारखंड) क्षेत्र में हुआ था,इसे उलगुलान विद्रोह(महान हलचल) के नाम से भी जाना जाता है।
यह आंदोलन सामाजिक धार्मिक सुधार के रूप में प्रारंभ हुआ था परंतु शीघ्र ही यह अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन का रूप धारण कर देता है।
इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था तथा उन्होंने स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित किया तथा अनेक ईश्वर को मानने के स्थान पर सिंहबोंगा(एकेश्वरवाद) की आराधना का उपदेश दिया।
इस विद्रोह के प्रमुख कारणों में खुंटीकुटी के अधिकारों का उल्लंघन ,अंग्रेजों की शोषणपरक नीतियां,साहूकारों -जमींदारों द्वारा वसूली तथा जनजातीय समाज में हस्तक्षेप आदि थे।
मुंडा समुदाय ने अंग्रेजों पर तीव्र हमले के लिए परंतु अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के कारण इस विद्रोह को दबा दिया गया।
नोट:-खुंटीकुटी प्रथा में सामूहिक भू स्वामित्व पर आधारित कृषि व्यवस्था पर बल दिया जाता था परंतु अंग्रेजों इस व्यवस्था को समाप्त कर निजी भू स्वामित्व की व्यवस्था लागू की थी।
1855-56 छोटानागपुर में सिद्धू और कान्हूँ के नेतृत्व में प्रसिद्ध संथाल विद्रोह हुआ।
1828 से 33 ई0 के बीच असम में गोमधर कुँवर के नेतृत्व में प्रसिद्ध अहोम विद्रोह हुआ था।
1858-59 ई0 में नायकदा विद्रोह रूपसिंह के नेतृत्व में पंच महल (गुजरात) में हुआ ।
Unattempted
व्याख्या–
मुंडा विद्रोह(1890- 1900 ई०)
यह विद्रोह छोटानागपुर पठार(झारखंड) क्षेत्र में हुआ था,इसे उलगुलान विद्रोह(महान हलचल) के नाम से भी जाना जाता है।
यह आंदोलन सामाजिक धार्मिक सुधार के रूप में प्रारंभ हुआ था परंतु शीघ्र ही यह अंग्रेजो के विरुद्ध आंदोलन का रूप धारण कर देता है।
इस विद्रोह का नेतृत्व बिरसा मुंडा ने किया था तथा उन्होंने स्वयं को ईश्वर का प्रतिनिधि घोषित किया तथा अनेक ईश्वर को मानने के स्थान पर सिंहबोंगा(एकेश्वरवाद) की आराधना का उपदेश दिया।
इस विद्रोह के प्रमुख कारणों में खुंटीकुटी के अधिकारों का उल्लंघन ,अंग्रेजों की शोषणपरक नीतियां,साहूकारों -जमींदारों द्वारा वसूली तथा जनजातीय समाज में हस्तक्षेप आदि थे।
मुंडा समुदाय ने अंग्रेजों पर तीव्र हमले के लिए परंतु अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के कारण इस विद्रोह को दबा दिया गया।
नोट:-खुंटीकुटी प्रथा में सामूहिक भू स्वामित्व पर आधारित कृषि व्यवस्था पर बल दिया जाता था परंतु अंग्रेजों इस व्यवस्था को समाप्त कर निजी भू स्वामित्व की व्यवस्था लागू की थी।
1855-56 छोटानागपुर में सिद्धू और कान्हूँ के नेतृत्व में प्रसिद्ध संथाल विद्रोह हुआ।
1828 से 33 ई0 के बीच असम में गोमधर कुँवर के नेतृत्व में प्रसिद्ध अहोम विद्रोह हुआ था।
1858-59 ई0 में नायकदा विद्रोह रूपसिंह के नेतृत्व में पंच महल (गुजरात) में हुआ ।
Question 9 of 10
9. Question
2 points
मार्च 1858 में निम्नलिखित में से किसने 1857 के विद्रोह का संदर्भ लेते हुए झाँसी की घेराबन्दी की?
Correct
व्याख्या-
झांसी में विद्रोह का नेतृत्व गंगाधर राव की विधवा लक्ष्मीबाई ने किया ।
लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र दामोदार राव को गद्दी न दिये जाने से नाराज थीं
23 मार्च, 1858 ई.को सर ह्यूरोज ने झांसी को घेर लिया।
रानी वहां से निकलकर पहले काल्पी और फिर ग्वालियर पहुंची।
लक्ष्मीबाई ग्वालियर में ह्यूरोज से युद्ध करती हुई 17 जून, 1858 ई. को वीरगति को प्राप्त हुई।
ह्यूरोज का कथन – कि भारतीय क्रान्तिकारियों में लक्ष्मीबाई अकेली मर्द है।
झांसी के विद्रोह को ह्यूरोज ने दबाया।
Incorrect
व्याख्या-
झांसी में विद्रोह का नेतृत्व गंगाधर राव की विधवा लक्ष्मीबाई ने किया ।
लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र दामोदार राव को गद्दी न दिये जाने से नाराज थीं
23 मार्च, 1858 ई.को सर ह्यूरोज ने झांसी को घेर लिया।
रानी वहां से निकलकर पहले काल्पी और फिर ग्वालियर पहुंची।
लक्ष्मीबाई ग्वालियर में ह्यूरोज से युद्ध करती हुई 17 जून, 1858 ई. को वीरगति को प्राप्त हुई।
ह्यूरोज का कथन – कि भारतीय क्रान्तिकारियों में लक्ष्मीबाई अकेली मर्द है।
झांसी के विद्रोह को ह्यूरोज ने दबाया।
Unattempted
व्याख्या-
झांसी में विद्रोह का नेतृत्व गंगाधर राव की विधवा लक्ष्मीबाई ने किया ।
लक्ष्मीबाई अपने दत्तक पुत्र दामोदार राव को गद्दी न दिये जाने से नाराज थीं
23 मार्च, 1858 ई.को सर ह्यूरोज ने झांसी को घेर लिया।
रानी वहां से निकलकर पहले काल्पी और फिर ग्वालियर पहुंची।
लक्ष्मीबाई ग्वालियर में ह्यूरोज से युद्ध करती हुई 17 जून, 1858 ई. को वीरगति को प्राप्त हुई।
ह्यूरोज का कथन – कि भारतीय क्रान्तिकारियों में लक्ष्मीबाई अकेली मर्द है।
झांसी के विद्रोह को ह्यूरोज ने दबाया।
Question 10 of 10
10. Question
2 points
भारत में पहला रेल मार्ग कहाँ से कहाँ तक चला था?
Correct
व्याख्या-
भारत में प्रथम रेलमार्ग अप्रैल, 1853 ई० को लॉर्ड डलहौजी के समय में बम्बई से थाणे के बीच स्थापित की गयी।
लॉर्ड डलहौजी का काल (1848-56 ई०)
लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल (1899 1905 ई०) में भारत में रेल लाइन का सर्वाधिक विस्तार हुआ।
भारत में विछायी गयी रेल लाइन को कार्लमार्क्स ने आधुनिक युग का अग्रदूत कहा।
Incorrect
व्याख्या-
भारत में प्रथम रेलमार्ग अप्रैल, 1853 ई० को लॉर्ड डलहौजी के समय में बम्बई से थाणे के बीच स्थापित की गयी।
लॉर्ड डलहौजी का काल (1848-56 ई०)
लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल (1899 1905 ई०) में भारत में रेल लाइन का सर्वाधिक विस्तार हुआ।
भारत में विछायी गयी रेल लाइन को कार्लमार्क्स ने आधुनिक युग का अग्रदूत कहा।
Unattempted
व्याख्या-
भारत में प्रथम रेलमार्ग अप्रैल, 1853 ई० को लॉर्ड डलहौजी के समय में बम्बई से थाणे के बीच स्थापित की गयी।
लॉर्ड डलहौजी का काल (1848-56 ई०)
लॉर्ड कर्जन के कार्यकाल (1899 1905 ई०) में भारत में रेल लाइन का सर्वाधिक विस्तार हुआ।
भारत में विछायी गयी रेल लाइन को कार्लमार्क्स ने आधुनिक युग का अग्रदूत कहा।