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Congratulations!!!" भारत जी.के टेस्ट - 2A "
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Question 1 of 10
1. Question
2 points
मौर्य वंश के शासन के दौरान स्थानिक’ था
Correct
व्याख्या- मौर्य वंश के शासन के समय ‘स्थानिक’ जिला प्रशासक होता था। मेगस्थनीज के द्वारा नगर के प्रमुख अधिकारी को ‘एस्ट्रोनोमाई’ कहा गया है। उसके अनुसार जिले का अधिकारी ‘एग्रोनोमोई’ था।
Incorrect
व्याख्या- मौर्य वंश के शासन के समय ‘स्थानिक’ जिला प्रशासक होता था। मेगस्थनीज के द्वारा नगर के प्रमुख अधिकारी को ‘एस्ट्रोनोमाई’ कहा गया है। उसके अनुसार जिले का अधिकारी ‘एग्रोनोमोई’ था।
Unattempted
व्याख्या- मौर्य वंश के शासन के समय ‘स्थानिक’ जिला प्रशासक होता था। मेगस्थनीज के द्वारा नगर के प्रमुख अधिकारी को ‘एस्ट्रोनोमाई’ कहा गया है। उसके अनुसार जिले का अधिकारी ‘एग्रोनोमोई’ था।
Question 2 of 10
2. Question
2 points
निम्नलिखित में से वह कौन-सी नदी है जिसे लोथल का गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा हुआ है? .
Correct
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Incorrect
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Unattempted
व्याख्या-
गुजरात के खम्भात की खाड़ी में सैन्धव सभ्यता के बन्दरगाह नगर लोथल की खोज 1957ई० में एस०आर० राव ने की थी।
लोथल के पूर्वी भाग में गोदी बाड़ा के साक्ष्य मिले हैं जिसका आकार 218×36 मीटर तथा चौड़ाई 3.30 मीटर थी। गोदी की उत्तरी दीवार में 12 मी० चौड़ा एक दीवार था जिससे जहाज आते जाते थे दक्षिणी दीवार में अतिरिक्त जलनिकासी के लिए निकास द्वार था।
भोगवा नदी द्वारा यह गोदी क्षेत्र एक नहर के द्वारा जुड़ा था।
लोथल भोगवा नदी तट पर है
Question 3 of 10
3. Question
2 points
प्रसिद्ध दशराज्ञ (दस राजाओं का युद्ध) का उल्लेख है
Correct
2 / 2Points
व्याख्या-
ऋग्वेद के सातवें मण्डल में वर्णित दसराज्ञ युद्ध परुष्णी अर्थात् रावी नदी के तट पर लड़ा गया।
दसराज्ञ युद्ध में एक ओर राजा सुदास तथा दूसरी ओर दस राजाओं का संघ था।
दसराज्ञ युद्ध में सुदास की विजय हुई।।
Incorrect
/ 2 Points
व्याख्या-
ऋग्वेद के सातवें मण्डल में वर्णित दसराज्ञ युद्ध परुष्णी अर्थात् रावी नदी के तट पर लड़ा गया।
दसराज्ञ युद्ध में एक ओर राजा सुदास तथा दूसरी ओर दस राजाओं का संघ था।
दसराज्ञ युद्ध में सुदास की विजय हुई।।
Unattempted
/ 2 Points
व्याख्या-
ऋग्वेद के सातवें मण्डल में वर्णित दसराज्ञ युद्ध परुष्णी अर्थात् रावी नदी के तट पर लड़ा गया।
दसराज्ञ युद्ध में एक ओर राजा सुदास तथा दूसरी ओर दस राजाओं का संघ था।
दसराज्ञ युद्ध में सुदास की विजय हुई।।
Question 4 of 10
4. Question
2 points
महावीर के देहान्त के बाद निम्नलिखित में से कौन जैनधर्म का आध्यात्मिक नेता बना?
Correct
व्याख्या-
महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की।
अनुयायियी गणधर कहे गए।
गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है।
इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष
इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी।
महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना।
सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Incorrect
व्याख्या-
महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की।
अनुयायियी गणधर कहे गए।
गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है।
इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष
इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी।
महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना।
सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Unattempted
व्याख्या-
महावीर ने अपने जीवन काल में ही 11 अनुयायियों के एक संघ की स्थापना की।
अनुयायियी गणधर कहे गए।
गणधरों के नामों का उल्लेख कल्पसूत्र, आवश्यक निर्मुक्ति और आवश्यक चूर्णि में मिलता है।
इनके नाम हैं- इन्द्रभूति, अग्निभूति, वायुभूति, धक्त, सुधर्मन, मंडित, मोरियपुत्र, अंकपति, अचलभ्राता मेतार्य व प्रभाष
इन्द्रभूति व सुधर्मन को छोड़कर सभी की मृत्यु महावीर स्वामी के जीवनकाल में हो गयी।
महावीर स्वामी के बाद सुधर्मन जैन संघ का प्रथम अध्यक्ष बना।
सुधर्मन के मृत्यु के बाद जम्मूस्वामी 44 वर्षों तक संघ का अध्यक्ष रहा।
Question 5 of 10
5. Question
2 points
निम्नलिखित में से वह प्रसिद्ध फारसी चित्रकार कौन था जो हमायूँ के साथ भारत आया था?
Correct
व्याख्या-
हुमायूँ ने अपनी अस्थायी राजधानी काबुल में फारस के दो चित्रकारों मीर सैय्यद अली हमदानी और अब्दुस्समद को आमंत्रित किया।
अब्दुस्समद और सैय्यद अली को मुगल चित्रशैली का संस्थापक माना जाता है।
हुमायूँ भारत आया तब इन्हें भी अपने साथ ले आया तथा अरबी भाषा में लिखित पुस्तक दास्ताने अमीर हम्जा/’हम्जनामा को चित्रित करने का कार्य सौंपा।
हुमायूँ की मृत्यु हो जाने के कारण ‘हम्जनामा अकबर के काल में चित्रित हो पाया।
Incorrect
व्याख्या-
हुमायूँ ने अपनी अस्थायी राजधानी काबुल में फारस के दो चित्रकारों मीर सैय्यद अली हमदानी और अब्दुस्समद को आमंत्रित किया।
अब्दुस्समद और सैय्यद अली को मुगल चित्रशैली का संस्थापक माना जाता है।
हुमायूँ भारत आया तब इन्हें भी अपने साथ ले आया तथा अरबी भाषा में लिखित पुस्तक दास्ताने अमीर हम्जा/’हम्जनामा को चित्रित करने का कार्य सौंपा।
हुमायूँ की मृत्यु हो जाने के कारण ‘हम्जनामा अकबर के काल में चित्रित हो पाया।
Unattempted
व्याख्या-
हुमायूँ ने अपनी अस्थायी राजधानी काबुल में फारस के दो चित्रकारों मीर सैय्यद अली हमदानी और अब्दुस्समद को आमंत्रित किया।
अब्दुस्समद और सैय्यद अली को मुगल चित्रशैली का संस्थापक माना जाता है।
हुमायूँ भारत आया तब इन्हें भी अपने साथ ले आया तथा अरबी भाषा में लिखित पुस्तक दास्ताने अमीर हम्जा/’हम्जनामा को चित्रित करने का कार्य सौंपा।
हुमायूँ की मृत्यु हो जाने के कारण ‘हम्जनामा अकबर के काल में चित्रित हो पाया।
Question 6 of 10
6. Question
2 points
निम्नलिखित में से कौन-सी मैत्रक शासकों की राजधानी थी?
Correct
व्याख्या-
गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में आधुनिक वल नामक स्थान पर प्राचीन वल्लभी नगर स्थित है।
वल्लभी नगर की स्थापना मैत्रक वंशी भट्टार्क ने की थी। यहां मैत्रकों की राजधानी थी।
सातवी शताब्दी में वल्लभी नगर एक प्रसिद्ध व्यापारिक एवं शैक्षणिक केन्द्र बन गया।
Incorrect
व्याख्या-
गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में आधुनिक वल नामक स्थान पर प्राचीन वल्लभी नगर स्थित है।
वल्लभी नगर की स्थापना मैत्रक वंशी भट्टार्क ने की थी। यहां मैत्रकों की राजधानी थी।
सातवी शताब्दी में वल्लभी नगर एक प्रसिद्ध व्यापारिक एवं शैक्षणिक केन्द्र बन गया।
Unattempted
व्याख्या-
गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में आधुनिक वल नामक स्थान पर प्राचीन वल्लभी नगर स्थित है।
वल्लभी नगर की स्थापना मैत्रक वंशी भट्टार्क ने की थी। यहां मैत्रकों की राजधानी थी।
सातवी शताब्दी में वल्लभी नगर एक प्रसिद्ध व्यापारिक एवं शैक्षणिक केन्द्र बन गया।
Question 7 of 10
7. Question
2 points
शाह की ढेरी के स्तुप में प्राप्त पुरावशेष धातु मंजूषा में किनके साथ बुद्ध की आसनस्थ आकृतियां हैं?
Correct
व्याख्या-
शाह जी ढेरी के स्तूप से प्राप्त पुरावशेष धातु मंजूषा में बुद्ध की आसनस्थ आकृतियां ब्रह्मा और इन्द्र की आकृतियों के साथ है।
Incorrect
व्याख्या-
शाह जी ढेरी के स्तूप से प्राप्त पुरावशेष धातु मंजूषा में बुद्ध की आसनस्थ आकृतियां ब्रह्मा और इन्द्र की आकृतियों के साथ है।
Unattempted
व्याख्या-
शाह जी ढेरी के स्तूप से प्राप्त पुरावशेष धातु मंजूषा में बुद्ध की आसनस्थ आकृतियां ब्रह्मा और इन्द्र की आकृतियों के साथ है।
Question 8 of 10
8. Question
2 points
मथुरा कला का विकास किस वंश के समय हुआ?
Correct
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Incorrect
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Unattempted
व्याख्या-
मथुरा कला का जन्म शक-कुषाण काल (कनिष्क के समय) में मथुरा में हुआ।
मथुरा में बौद्ध, हिन्दू एवं जैन धर्मों से संबंधित मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
बुद्ध की प्रथम मूर्ति के निर्माण का श्रेय (पहली शती ई0) मथुरा कला शैली को है।
मथुरा कला शैली में लाल-बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है।
Question 9 of 10
9. Question
2 points
निम्नलिखित में से बलवन के काल में विद्रोह करने वाला, बंगाल का गवर्नर कौन था?
Correct
बलबन के शासन काल में बंगाल के सूबेदार तुगरिल खाँ ने 1279 ई० में विद्रोह किया।
तुगरिल खाँ ने सुल्तान की उपाधि धारण की, अपने नाम के सिक्के जारी किये तथा खुतबा पढ़वाया।
बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की
प्रत्येक वर्ष नौरोज का त्योहार मनाना शुरु करवाया
बलबन “जिल्ले ईलाही” की उपाधि धारण की
बलबन ने लौह एवम रक्त नीति का पालन किया
बलबन ने ही तुर्कान ए चिहलगानी (चालीसा दल) को नष्ट किया
बलबन ने अक्तादारी प्रथा में सुधार किया
Incorrect
बलबन के शासन काल में बंगाल के सूबेदार तुगरिल खाँ ने 1279 ई० में विद्रोह किया।
तुगरिल खाँ ने सुल्तान की उपाधि धारण की, अपने नाम के सिक्के जारी किये तथा खुतबा पढ़वाया।
बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की
प्रत्येक वर्ष नौरोज का त्योहार मनाना शुरु करवाया
बलबन “जिल्ले ईलाही” की उपाधि धारण की
बलबन ने लौह एवम रक्त नीति का पालन किया
बलबन ने ही तुर्कान ए चिहलगानी (चालीसा दल) को नष्ट किया
बलबन ने अक्तादारी प्रथा में सुधार किया
Unattempted
बलबन के शासन काल में बंगाल के सूबेदार तुगरिल खाँ ने 1279 ई० में विद्रोह किया।
तुगरिल खाँ ने सुल्तान की उपाधि धारण की, अपने नाम के सिक्के जारी किये तथा खुतबा पढ़वाया।
बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की
प्रत्येक वर्ष नौरोज का त्योहार मनाना शुरु करवाया
बलबन “जिल्ले ईलाही” की उपाधि धारण की
बलबन ने लौह एवम रक्त नीति का पालन किया
बलबन ने ही तुर्कान ए चिहलगानी (चालीसा दल) को नष्ट किया
बलबन ने अक्तादारी प्रथा में सुधार किया
Question 10 of 10
10. Question
2 points
निम्नलिखित सुल्तानों में से किसने खलीफा की उपाधि स्वयं धारण कर ली थी?
Correct
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं
Incorrect
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं
Unattempted
व्याख्या-
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी ने स्वयं को खलीफा घोषित किया।
कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316-20 ई) अलाउद्दीन का पुत्र था
कुतुबुद्दीन मुबारक अपने योग्य पिता का अयोग्य पत्र था।
बरनी के अनुसार “वह कभी-कभी नग्न होकर अपने दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
कुतुबुद्दीन मुबारक अपनी मूर्खता के कारण स्वयं और अपने वंश के पतन के लिए उत्तरदायी हुआ।
कुतुबुद्दीन मुबारक ने पिता से उसने एक शक्तिशाली, विस्तृत और समृद्धशाली साम्राज्य प्राप्त किया था
कुतुबुद्दीन मुबारक ने ‘अल-इमाम, ‘खलाफत उल-लह आदि उपाधियाँ ग्रहण की थीं