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आधुनिक राजस्थान का इतिहास
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1818 ई. में कम्पनी की ओर से राजपूत राज्यों से संधि करने वाला अधिकारी था
व्याख्या : 1813 ई. में लार्ड हेस्टिंग्ज गर्वनर जनरल बनकर भारत आया। उसका प्रमुख उद्देश्य भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सर्वोच्च सत्ता स्थापित करना था। उसने राजस्थान के राज्यों को कम्पनी सरकार के संरक्षण में लेने हेतु दिल्ली रेजीडेण्ट चार्ल्स मेटकॉफ़ को अधिकृत किया कि वह राजपूत राजाओं से यथोचित संधियां करे। इस प्रकार 1818 ई. में कंपनी की ओर से राजपूत शासकों से संधि करने वाला अधिकारी चार्ल्स मेटकॉफ़ था।
व्याख्या : 1813 ई. में लार्ड हेस्टिंग्ज गर्वनर जनरल बनकर भारत आया। उसका प्रमुख उद्देश्य भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सर्वोच्च सत्ता स्थापित करना था। उसने राजस्थान के राज्यों को कम्पनी सरकार के संरक्षण में लेने हेतु दिल्ली रेजीडेण्ट चार्ल्स मेटकॉफ़ को अधिकृत किया कि वह राजपूत राजाओं से यथोचित संधियां करे। इस प्रकार 1818 ई. में कंपनी की ओर से राजपूत शासकों से संधि करने वाला अधिकारी चार्ल्स मेटकॉफ़ था।
व्याख्या : 1813 ई. में लार्ड हेस्टिंग्ज गर्वनर जनरल बनकर भारत आया। उसका प्रमुख उद्देश्य भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की सर्वोच्च सत्ता स्थापित करना था। उसने राजस्थान के राज्यों को कम्पनी सरकार के संरक्षण में लेने हेतु दिल्ली रेजीडेण्ट चार्ल्स मेटकॉफ़ को अधिकृत किया कि वह राजपूत राजाओं से यथोचित संधियां करे। इस प्रकार 1818 ई. में कंपनी की ओर से राजपूत शासकों से संधि करने वाला अधिकारी चार्ल्स मेटकॉफ़ था।
अफीम से संबंधित रॉयल कमीशन निम्न में से किस वर्ष में राजस्थान आया था?
व्याख्या : अफ़ीम का भारत (राजस्थान-मालवा क्षेत्र) में उत्पादन करके इसे चीन निर्यात किया जाता था। अफ़ीम
के भारत तथा चीन पर पड़ रहे दुष्प्रभावों के कारण राष्ट्रवादी नेता, ईसाई मिशनरी इत्यादि अफ़ीम उत्पादन का विरोध कर रहे थे। कमीशन की नियुक्ति अफ़ीम खेती की लाभ-हानि जाँचने के लिए की गई थी। 1893 में गवर्नर जनरल लार्ड एमहर्ट ने अफ़ीम रॉयल कमीशन की स्थापना की तथा इसी वर्ष यह राजस्थान आया। थॉमस ब्रासे इस नौ सदस्य कमीशन के अध्यक्ष थे। इस कमीशन में दो भारतीय लक्ष्मेश्वर सिंह (दरभंगा के महाराजा) तथा जूनागढ़ दीवान हरिदास विहारीदास देसाई भी थे। कमीशन की संस्तुति में अफ़ीम की खेती को लाभदायक माना गया तथा अफ़ीम की खेती बंद होने की स्थिति में सरकार, किसानों एवं व्यापारियों को आर्थिक हानि होना बताया गया।
व्याख्या : अफ़ीम का भारत (राजस्थान-मालवा क्षेत्र) में उत्पादन करके इसे चीन निर्यात किया जाता था। अफ़ीम
के भारत तथा चीन पर पड़ रहे दुष्प्रभावों के कारण राष्ट्रवादी नेता, ईसाई मिशनरी इत्यादि अफ़ीम उत्पादन का विरोध कर रहे थे। कमीशन की नियुक्ति अफ़ीम खेती की लाभ-हानि जाँचने के लिए की गई थी। 1893 में गवर्नर जनरल लार्ड एमहर्ट ने अफ़ीम रॉयल कमीशन की स्थापना की तथा इसी वर्ष यह राजस्थान आया। थॉमस ब्रासे इस नौ सदस्य कमीशन के अध्यक्ष थे। इस कमीशन में दो भारतीय लक्ष्मेश्वर सिंह (दरभंगा के महाराजा) तथा जूनागढ़ दीवान हरिदास विहारीदास देसाई भी थे। कमीशन की संस्तुति में अफ़ीम की खेती को लाभदायक माना गया तथा अफ़ीम की खेती बंद होने की स्थिति में सरकार, किसानों एवं व्यापारियों को आर्थिक हानि होना बताया गया।
व्याख्या : अफ़ीम का भारत (राजस्थान-मालवा क्षेत्र) में उत्पादन करके इसे चीन निर्यात किया जाता था। अफ़ीम
के भारत तथा चीन पर पड़ रहे दुष्प्रभावों के कारण राष्ट्रवादी नेता, ईसाई मिशनरी इत्यादि अफ़ीम उत्पादन का विरोध कर रहे थे। कमीशन की नियुक्ति अफ़ीम खेती की लाभ-हानि जाँचने के लिए की गई थी। 1893 में गवर्नर जनरल लार्ड एमहर्ट ने अफ़ीम रॉयल कमीशन की स्थापना की तथा इसी वर्ष यह राजस्थान आया। थॉमस ब्रासे इस नौ सदस्य कमीशन के अध्यक्ष थे। इस कमीशन में दो भारतीय लक्ष्मेश्वर सिंह (दरभंगा के महाराजा) तथा जूनागढ़ दीवान हरिदास विहारीदास देसाई भी थे। कमीशन की संस्तुति में अफ़ीम की खेती को लाभदायक माना गया तथा अफ़ीम की खेती बंद होने की स्थिति में सरकार, किसानों एवं व्यापारियों को आर्थिक हानि होना बताया गया।
‘राजस्थान’ नामकरण किसने अपनी प्रसिद्ध कृति में किया?
व्याख्या : कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को ‘रायथान’ कहा क्योंकि स्थानीय साहित्य एवं बोलचाल में राजाओं के निवास स्थान को ‘रायथान’ कहा जाता है। उन्होंने 1829 में लिखित अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “द एनल्स एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थानया सेण्ट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया’ में सर्वप्रथम इस भौगोलिक प्रदेश के लिए ‘राजस्थान’ शब्द का प्रयोग किया। नोट:- इससे पूर्व सन् 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस ने देश के इस भाग के लिए सर्वप्रथम ‘राजपूताना’ शब्द का प्रयोग किया।
व्याख्या : कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को ‘रायथान’ कहा क्योंकि स्थानीय साहित्य एवं बोलचाल में राजाओं के निवास स्थान को ‘रायथान’ कहा जाता है। उन्होंने 1829 में लिखित अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “द एनल्स एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थानया सेण्ट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया’ में सर्वप्रथम इस भौगोलिक प्रदेश के लिए ‘राजस्थान’ शब्द का प्रयोग किया। नोट:- इससे पूर्व सन् 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस ने देश के इस भाग के लिए सर्वप्रथम ‘राजपूताना’ शब्द का प्रयोग किया।
व्याख्या : कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को ‘रायथान’ कहा क्योंकि स्थानीय साहित्य एवं बोलचाल में राजाओं के निवास स्थान को ‘रायथान’ कहा जाता है। उन्होंने 1829 में लिखित अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “द एनल्स एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थानया सेण्ट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया’ में सर्वप्रथम इस भौगोलिक प्रदेश के लिए ‘राजस्थान’ शब्द का प्रयोग किया। नोट:- इससे पूर्व सन् 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस ने देश के इस भाग के लिए सर्वप्रथम ‘राजपूताना’ शब्द का प्रयोग किया।
जिस समय अंग्रेजों द्वारा तत्कालीन राजपूताना के रजवाड़ों के साथ सहायक संधियों पर हस्ताक्षर किए गए थे उस समय भारत का गवर्नर कौन था
व्याख्या : लॉर्ड हेस्टिंग (1813-1823) ने राजस्थान में ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की। उसने राजपूताने की रियासतों को एक दूसरे से पृथक रखने व उन्हें ब्रिटिश सरकार का मित्र बनाने का प्रयत्न किया ताकि मराठों की शक्ति को कम किया जा सके तथा राजपूत राज्यों को संरक्षण में लेकर कम्पनी के वित्तीय साधनों में वृद्धि हो सके। इस हेतु उसने दिल्ली के ब्रिटिश रेजीडेंट चार्ल्स मेटकॉफ को राजपूतों से समझौते सम्पन्न करने का आदेश दिया।
व्याख्या : लॉर्ड हेस्टिंग (1813-1823) ने राजस्थान में ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की। उसने राजपूताने की रियासतों को एक दूसरे से पृथक रखने व उन्हें ब्रिटिश सरकार का मित्र बनाने का प्रयत्न किया ताकि मराठों की शक्ति को कम किया जा सके तथा राजपूत राज्यों को संरक्षण में लेकर कम्पनी के वित्तीय साधनों में वृद्धि हो सके। इस हेतु उसने दिल्ली के ब्रिटिश रेजीडेंट चार्ल्स मेटकॉफ को राजपूतों से समझौते सम्पन्न करने का आदेश दिया।
व्याख्या : लॉर्ड हेस्टिंग (1813-1823) ने राजस्थान में ब्रिटिश प्रभुसत्ता स्थापित की। उसने राजपूताने की रियासतों को एक दूसरे से पृथक रखने व उन्हें ब्रिटिश सरकार का मित्र बनाने का प्रयत्न किया ताकि मराठों की शक्ति को कम किया जा सके तथा राजपूत राज्यों को संरक्षण में लेकर कम्पनी के वित्तीय साधनों में वृद्धि हो सके। इस हेतु उसने दिल्ली के ब्रिटिश रेजीडेंट चार्ल्स मेटकॉफ को राजपूतों से समझौते सम्पन्न करने का आदेश दिया।
बीकानेर राज्य की ओर से मार्च 1818 में अंग्रेजों के साथ सहायक संधि पर हस्ताक्षर किसने किए?
व्याख्या : 1818 की सहायक संधि बीकानेर नरेश सूरतसिंह ने राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए की थी। बीकानेर की ओर से काशीनाथ ओझा ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए।
व्याख्या : 1818 की सहायक संधि बीकानेर नरेश सूरतसिंह ने राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए की थी। बीकानेर की ओर से काशीनाथ ओझा ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए।
व्याख्या : 1818 की सहायक संधि बीकानेर नरेश सूरतसिंह ने राज्य में शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए की थी। बीकानेर की ओर से काशीनाथ ओझा ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए।
झाला जालिम सिंह के बारे में कौनसा कथन सही नहीं है ?
व्याख्या : झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का शासक नहीं था। वह कोटा शासक शत्रुशाल के समय कोटा का प्रधानमंत्री व महाराव उम्मेदसिंह के समय उसका संरक्षक बना। वास्तव में झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का दीवान, मुख्य प्रशासक एवं फ़ौज़दार था। 1818 की कोटा-कंपनी संधि में एक धारा यह भी थी कि झाला जालिम सिंह व उसके वंशज ही कोटा के दीवान तथा फ़ौज़दार रहेंगे। कोटा महाराव तथा झाला परिवार के बीच सत्ता संघर्ष को हल करने हेतु 1838 में झालावाड़ राज्य की स्थापना की गई। तदुपरान्त झाला परिवार ने कोटा राज्य के दीवान/फ़ौज़दार का पद त्याग दिया।
व्याख्या : झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का शासक नहीं था। वह कोटा शासक शत्रुशाल के समय कोटा का प्रधानमंत्री व महाराव उम्मेदसिंह के समय उसका संरक्षक बना। वास्तव में झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का दीवान, मुख्य प्रशासक एवं फ़ौज़दार था। 1818 की कोटा-कंपनी संधि में एक धारा यह भी थी कि झाला जालिम सिंह व उसके वंशज ही कोटा के दीवान तथा फ़ौज़दार रहेंगे। कोटा महाराव तथा झाला परिवार के बीच सत्ता संघर्ष को हल करने हेतु 1838 में झालावाड़ राज्य की स्थापना की गई। तदुपरान्त झाला परिवार ने कोटा राज्य के दीवान/फ़ौज़दार का पद त्याग दिया।
व्याख्या : झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का शासक नहीं था। वह कोटा शासक शत्रुशाल के समय कोटा का प्रधानमंत्री व महाराव उम्मेदसिंह के समय उसका संरक्षक बना। वास्तव में झाला जालिम सिंह कोटा राज्य का दीवान, मुख्य प्रशासक एवं फ़ौज़दार था। 1818 की कोटा-कंपनी संधि में एक धारा यह भी थी कि झाला जालिम सिंह व उसके वंशज ही कोटा के दीवान तथा फ़ौज़दार रहेंगे। कोटा महाराव तथा झाला परिवार के बीच सत्ता संघर्ष को हल करने हेतु 1838 में झालावाड़ राज्य की स्थापना की गई। तदुपरान्त झाला परिवार ने कोटा राज्य के दीवान/फ़ौज़दार का पद त्याग दिया।
सन् 1817 ई. में किन राज्यों ने ब्रिटिश-ईस्ट-इण्डिया कम्पनी के साथ संधियाँ की थी?
व्याख्या : राज्य संधि की दिनांक शासक
(1) करौली 9 नवम्बर, 1817 हरबक्शपाल सिंह
(2) कोटा 26 दिसम्बर, 1817 महाराजा उम्मेद सिंह
(3) टोंक 15 नवम्बर, 1817 नवाब अमीर खां
(4) किशनगढ़ 7 अप्रैल, 1818 कल्याण सिंह
व्याख्या : राज्य संधि की दिनांक शासक
(1) करौली 9 नवम्बर, 1817 हरबक्शपाल सिंह
(2) कोटा 26 दिसम्बर, 1817 महाराजा उम्मेद सिंह
(3) टोंक 15 नवम्बर, 1817 नवाब अमीर खां
(4) किशनगढ़ 7 अप्रैल, 1818 कल्याण सिंह
व्याख्या : राज्य संधि की दिनांक शासक
(1) करौली 9 नवम्बर, 1817 हरबक्शपाल सिंह
(2) कोटा 26 दिसम्बर, 1817 महाराजा उम्मेद सिंह
(3) टोंक 15 नवम्बर, 1817 नवाब अमीर खां
(4) किशनगढ़ 7 अप्रैल, 1818 कल्याण सिंह
“इजलास खास” की स्थापना की थी
व्याख्या : • मेवाड़ राज्य में ‘महकमा खास’ (सर्वोच्च न्याय अदालत) की स्थापना महाराणा शम्भूसिंह ने 1869 ई. में की थी।
व्याख्या : • मेवाड़ राज्य में ‘महकमा खास’ (सर्वोच्च न्याय अदालत) की स्थापना महाराणा शम्भूसिंह ने 1869 ई. में की थी।
व्याख्या : • मेवाड़ राज्य में ‘महकमा खास’ (सर्वोच्च न्याय अदालत) की स्थापना महाराणा शम्भूसिंह ने 1869 ई. में की थी।
समाज सुधार के उद्देश्य से देश हितैषिणी सभा की स्थापना हुई थी
व्याख्या : 2 जुलाई, 1877 ई. में उदयपुर महाराणा सज्जन सिंह की अध्यक्षता में 32 प्रमुख सामन्तों एवं राज्याधिकारियों की एक सभा में राज्य में विवाह सम्बन्धी नियम बनाने पर विचार हुआ तथा “देश हितैषिणी सभा” की स्थापना की गई। इस संस्था के माध्यम से शासक एवं सामन्तों ने पहली बार समाज सुधारात्मक कदम उठाए तथा विवाह संबंधी अनेक नियम बनाए।
व्याख्या : 2 जुलाई, 1877 ई. में उदयपुर महाराणा सज्जन सिंह की अध्यक्षता में 32 प्रमुख सामन्तों एवं राज्याधिकारियों की एक सभा में राज्य में विवाह सम्बन्धी नियम बनाने पर विचार हुआ तथा “देश हितैषिणी सभा” की स्थापना की गई। इस संस्था के माध्यम से शासक एवं सामन्तों ने पहली बार समाज सुधारात्मक कदम उठाए तथा विवाह संबंधी अनेक नियम बनाए।
व्याख्या : 2 जुलाई, 1877 ई. में उदयपुर महाराणा सज्जन सिंह की अध्यक्षता में 32 प्रमुख सामन्तों एवं राज्याधिकारियों की एक सभा में राज्य में विवाह सम्बन्धी नियम बनाने पर विचार हुआ तथा “देश हितैषिणी सभा” की स्थापना की गई। इस संस्था के माध्यम से शासक एवं सामन्तों ने पहली बार समाज सुधारात्मक कदम उठाए तथा विवाह संबंधी अनेक नियम बनाए।
अनमेल विवाह और बालविवाह निषेध अधिनियम सबसे पहले अलवर रियासत ने किस वर्ष बनाया?
व्याख्या : ब्रिटिश सरकार एवं वाल्टर कृत ‘हितकारिणी सभा’ जैसी संस्थाओं के प्रभाव से सर्वप्रथम जोधपुर रियासत में महाराजा जसवंत सिंह-II के शासनकाल में 1885 ई. में बाल विवाह को प्रतिबंधित करने वाला कानून बना। 10 दिसम्बर 1903 अलवर रियासत में अनमेल विवाह और बाल विवाह निषेध – अधिनियम बनाया गया।
व्याख्या : ब्रिटिश सरकार एवं वाल्टर कृत ‘हितकारिणी सभा’ जैसी संस्थाओं के प्रभाव से सर्वप्रथम जोधपुर रियासत में महाराजा जसवंत सिंह-II के शासनकाल में 1885 ई. में बाल विवाह को प्रतिबंधित करने वाला कानून बना। 10 दिसम्बर 1903 अलवर रियासत में अनमेल विवाह और बाल विवाह निषेध – अधिनियम बनाया गया।
व्याख्या : ब्रिटिश सरकार एवं वाल्टर कृत ‘हितकारिणी सभा’ जैसी संस्थाओं के प्रभाव से सर्वप्रथम जोधपुर रियासत में महाराजा जसवंत सिंह-II के शासनकाल में 1885 ई. में बाल विवाह को प्रतिबंधित करने वाला कानून बना। 10 दिसम्बर 1903 अलवर रियासत में अनमेल विवाह और बाल विवाह निषेध – अधिनियम बनाया गया।
स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा 1883 ई. में परोपकारिणी सभा की स्थापना कहाँ की?
व्याख्या : स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा अपने उदयपुर प्रवास के दौरान 27 फरवरी, 1883 को उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना की गई। इस सभा के 13 नियम-उपनियम बनाकर उन्होंने उदयपुर रियासत के महाराजा सज्जनसिंह से स्वीकृत कराकर इसका पंजीकरण करवाया। 20वीं सदी के प्रारंभ में परोपकारिणी सभा का मुख्यालय अजमेर स्थानान्तरित हो गया।
व्याख्या : स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा अपने उदयपुर प्रवास के दौरान 27 फरवरी, 1883 को उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना की गई। इस सभा के 13 नियम-उपनियम बनाकर उन्होंने उदयपुर रियासत के महाराजा सज्जनसिंह से स्वीकृत कराकर इसका पंजीकरण करवाया। 20वीं सदी के प्रारंभ में परोपकारिणी सभा का मुख्यालय अजमेर स्थानान्तरित हो गया।
व्याख्या : स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा अपने उदयपुर प्रवास के दौरान 27 फरवरी, 1883 को उदयपुर में परोपकारिणी सभा की स्थापना की गई। इस सभा के 13 नियम-उपनियम बनाकर उन्होंने उदयपुर रियासत के महाराजा सज्जनसिंह से स्वीकृत कराकर इसका पंजीकरण करवाया। 20वीं सदी के प्रारंभ में परोपकारिणी सभा का मुख्यालय अजमेर स्थानान्तरित हो गया।
निम्नलिखित में से सर्वप्रथम किसने राजस्थान के राजसी शासक वर्ग के लिए पृथक् शिक्षा संस्थान की आवश्यकता पर बल दिया था ?
व्याख्या : 1869 ई. मे कर्नल एफ.के.एम. वाल्टर ने जो भरतपुर एजेंसी में पॉलिटिकल एजेन्ट थे; राजस्थान में शासक वर्ग के लिए एक पृथक शिक्षा संस्थान की आवश्यकता पर बल दिया। जहाँ शासक वर्ग को अंग्रेजी जीवन शैली में ढाला जा सके। इसी क्रम में 1870 में लॉर्ड मेयो ने राजस्थान के शासकों के लिए ऐसे एक संस्थान का प्रस्ताव रखा जिसमें राजस्थान के शासकों के बच्चे अध्ययन कर सके। यह प्रस्ताव साकार रुप में 1875 में अजमेर में मेयो कॉलेज के रुप में आया।
व्याख्या : 1869 ई. मे कर्नल एफ.के.एम. वाल्टर ने जो भरतपुर एजेंसी में पॉलिटिकल एजेन्ट थे; राजस्थान में शासक वर्ग के लिए एक पृथक शिक्षा संस्थान की आवश्यकता पर बल दिया। जहाँ शासक वर्ग को अंग्रेजी जीवन शैली में ढाला जा सके। इसी क्रम में 1870 में लॉर्ड मेयो ने राजस्थान के शासकों के लिए ऐसे एक संस्थान का प्रस्ताव रखा जिसमें राजस्थान के शासकों के बच्चे अध्ययन कर सके। यह प्रस्ताव साकार रुप में 1875 में अजमेर में मेयो कॉलेज के रुप में आया।
व्याख्या : 1869 ई. मे कर्नल एफ.के.एम. वाल्टर ने जो भरतपुर एजेंसी में पॉलिटिकल एजेन्ट थे; राजस्थान में शासक वर्ग के लिए एक पृथक शिक्षा संस्थान की आवश्यकता पर बल दिया। जहाँ शासक वर्ग को अंग्रेजी जीवन शैली में ढाला जा सके। इसी क्रम में 1870 में लॉर्ड मेयो ने राजस्थान के शासकों के लिए ऐसे एक संस्थान का प्रस्ताव रखा जिसमें राजस्थान के शासकों के बच्चे अध्ययन कर सके। यह प्रस्ताव साकार रुप में 1875 में अजमेर में मेयो कॉलेज के रुप में आया।
अजमेर में ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नज़र (भेंट) भेजने वाले प्रथम मराठा सरदार कौन थे? –
मुईनुद्दीन चिश्ती दरगाह राजस्थान के शहर अजमेर में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसे ‘दरगाह अजमेर शरीफ़’ भी कहा जाता है। ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, ख़्वाजा साहब या ख़्वाजा शरीफ़ अजमेर आने वाले सभी धर्मावलम्बियों के लिये एक पवित्र स्थान है। मक्का के बाद सभी मुस्लिम तीर्थ स्थलों में इसका दूसरा स्थान हैं। इसलिये इसे भारत का मक्का भी कहा जाता हैं।
व्याख्या : अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नज़र (भेंट) भेजने वाले प्रथम मराठा सरदार राजा शाहू थे।
व्याख्या : अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नज़र (भेंट) भेजने वाले प्रथम मराठा सरदार राजा शाहू थे।
व्याख्या : अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नज़र (भेंट) भेजने वाले प्रथम मराठा सरदार राजा शाहू थे।
राजस्थान राज्य का नाम “राजपूताना” किसने और किस वर्ष में दिया था?
व्याख्या :आजादी से पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता है. जार्ज थॉमस ने साल 1800 ईसा में ‘राजपूताना‘ नाम दिया था. कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 ईसा में अपनी पुस्तक ‘द एनाल्स एंड एक्टीविटीज ऑफ राजस्थान‘ में किया. कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को दी सेन्ट्रल वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया कहा है.
• राजपूताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया था।
व्याख्या :आजादी से पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता है. जार्ज थॉमस ने साल 1800 ईसा में ‘राजपूताना‘ नाम दिया था. कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 ईसा में अपनी पुस्तक ‘द एनाल्स एंड एक्टीविटीज ऑफ राजस्थान‘ में किया. कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को दी सेन्ट्रल वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया कहा है.
• राजपूताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया था।
व्याख्या :आजादी से पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता है. जार्ज थॉमस ने साल 1800 ईसा में ‘राजपूताना‘ नाम दिया था. कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 ईसा में अपनी पुस्तक ‘द एनाल्स एंड एक्टीविटीज ऑफ राजस्थान‘ में किया. कर्नल जेम्स टॉड ने राजस्थान को दी सेन्ट्रल वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया कहा है.
• राजपूताना शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1800 ई. में जॉर्ज थॉमस द्वारा किया गया था।
“इकतीसंदा”रुपया राजस्थान की कौनसी टकसाल में बनता था?
व्याख्या : सन् 1893 ई. में नागौर की टकसाल से विजयशाही रुपये तथा कुचामन ठाकुर को ‘इकतीसंदा’ रुपये बनाने की अनुमति दी गई।
व्याख्या : सन् 1893 ई. में नागौर की टकसाल से विजयशाही रुपये तथा कुचामन ठाकुर को ‘इकतीसंदा’ रुपये बनाने की अनुमति दी गई।
व्याख्या : सन् 1893 ई. में नागौर की टकसाल से विजयशाही रुपये तथा कुचामन ठाकुर को ‘इकतीसंदा’ रुपये बनाने की अनुमति दी गई।